राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार बैंकों में जमा बिना हिसाब किताब वाले धन पर जहां एक तरफ कड़ा जुर्माना लगाने की पहल कर रही है वहीं उसने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक दलों के खाते में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों में जमा राशि पर आयकर नहीं लगेगा, जैसी घोषणा की है। हालांकि, इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि इसमें यह देखा जाएगा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाला व्यक्तिगत चंदा 20000 रुपये से कम होना चाहिए और यह दस्तावेजों में दर्ज होना चाहिए। दूसरी और इस अव्यवस्था से नागरिक परेशान हैं और कई जन दे चुके हैं और कुछ जान देने पर उतारू हैं।
नये सरकारी फरमान में कहा गया है कि सरकार राजनीतिक दलों को प्राप्त कर छूट में कोई छेड़छाड़ नहीं कर रही है। राजनीतिक दल 500 और 1000 रुपये के नोट अपने खातों में जमा कराने के लिए मुक्त हैं। लेकिन इस प्रकार की जमा पर शर्त होगी कि इसमें नकद में लिया गया व्यक्तिगत चंदा 20000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और इसके पूरे दस्तावेज होने चाहिए जिसमें दानदाता की पूरी पहचान होनी चाहिए। यह तो राजनीतिक दलों के लिए बाएं हाथ क खेल है, पार्टी की सदस्य संख्या और वोटर संख्या में धांधली में तो सभी सिद्धहस्त हैं |फरमान है कि यदि कोई एक व्यक्ति 20000 रुपये से अधिक का दान पार्टी को देता है तो मौजूदा कानून के तहत वह चेक अथवा बैंक ड्राफट के जरिये होना चाहिये। सरकार ने यह भी कहा है किसानों की कृषि आय कर मुक्त है, हालांकि, इस मामले में किसानों को एक घोषणा पत्र देना होगा जिसमें यह कहना होगा कि उनकी सालाना आय 25 लाख रुपये से कम है। ऐसी घोषणा से उन्हें बैंक जमा के लिए पैन की आवश्यकता नहीं होगी।
अभी आयकर कानून 1961 की धारा 13ए के तहत राजनीतिक दलों को उनकी आय पर कर से छूट प्राप्त है। उनकी यह आय आवास संपत्ति, अन्य स्रोतों, पूंजीगत लाभ और किसी व्यक्ति की ओर से स्वैच्छिक योगदान से हो सकती है। राजनीतिक दलों को इन श्रेणियों में होने वाली आय बिना किसी मौद्रिक और अन्य सीमाओं के साथ आयकर छूट प्राप्त है और इस प्रकार की छूट प्राप्त आय को आयकर आकलन के लिये राजनीतिक दलों की कुल आय में भी शामिल नहीं किया जाता है। राजनीतिक दलों की धींगामुश्ती का यह आलम है की इसके बाद भी किराया, बिजली का बिल . और फोन जैसे बिल करोड़ों में पेंडिंग हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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