तैमूर के पूर्वज पाकिस्तान में मिलना चाहते थे अपनी रियासत

Bhopal Samachar
भोपाल। नवाब सैफ अली खान पटौदी के बेटे 'तैमूर' के पूर्वजों की रियासत भोपाल जो इन दिनों मप्र की राजधानी है। भारत का हिस्सा ही ना होती, यदि तैमूर के पूर्वजों की रणनीति कारगर हो जाती। वो आजादी के बाद भोपाल को पाकिस्तान में मिलना चाहते थे। 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की पहचान आज भी नवाबों के शहर के रूप में होती है। यहां नवाबों का राज रहा है और इनकी सल्तनत अंग्रेजों के इशारे पर चलती थी। रियासत की स्थापना 1723-24 में औरंगजेब की सेना के योद्धा दोस्त मोहम्मद खान ने सिहोर, आष्टा, खिलचीपुर और गिन्नौर को जीत कर की थी। 1728 में दोस्त मोहम्मद खान की मौत के बाद उसके बेटे यार मोहम्मद खान भोपाल रियासत के पहले नवाब बने।

ऐसे बनी भोपाल रियासत
मार्च 1818 में जब नजर मोहम्मद खान नवाब थे तो एंग्लो भोपाल संधि के तहत भोपाल रियासत भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य की प्रिंसली स्टेट हो गई। 1926 में उसी रियासत के नवाब बने थे हमीदुल्लाह खान। अलीगढ़ विश्वविद्यालय से शिक्षित नवाब हमीदुल्लाह दो बार 1931 और 1944 में चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर बने तथा भारत विभाजन के समय वे ही चांसलर थे। आजादी का मसौदा घोषित होने के साथ ही उन्होंने 1947 में चांसलर पद से त्यागपत्र दे दिया। 

पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे 
आजादी के बाद नवाब ने पाकिस्तान जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। वहां जाने से पहले उन्होंने यहां से अपना खजाना पाकिस्तान भेज दिया था। इस दौरान नवाब जिन्ना से संपर्क बनाए हुए थे। भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह किसी भी हालत में भारत के साथ अपनी रियासत का विलय नहीं करना चाहते था। उन्होंने एकीकरण के एग्रीमेंट पर साइन करने से मना कर दिया। पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के काफी करीबी होने के कारण उन्हें भारत सरकार पर दवाब बनाने में मदद मिल रही थी। 

सारा खजाना पाकिस्तान भेज दिया 
इस बीच पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे नवाब हमीदुल्ला ने भोपाल बैंक और रियासत का खजाना पाकिस्तान भेज दिया। खजाना भेजने के बाद नवाब ने अपनी बेटी आबिदा से भोपाल रियासत का शासक बनने कहा। बेटी ने पूरी स्थिति को समझ मना कर दिया। जब उन्हे समझ आ गया कि भोपाल को पाकिस्तान में शामिल नहीं किया जा सकता और भारत में रियासत का विलय उनकी मर्जी के बिना भी हो जाएगा तो वो हज को चले गए। उन्हे लगा कि लौटने तक कोई नया रास्ता निकल आएगा। 

जिन्ना की मौत ने तोड़ दिया 
नवाब हमीदुल्ला ने भोपाल रियासत की जिस बैंक का खजाना पाकिस्तान भेजा था उसमें करोड़ों रुपए भोपाल के लोगों के जमा थे। बाद में इस बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया गया। 11 सितंबर 1948 को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मौत हो गई। पाकिस्तान का राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला। नवाब को सरदार पटेल की सख्त चेतावनी मिल गई थी। अंततः भारी मन से नवाब ने एक जून 1949 को भोपाल रियासत का विलय भारत में कर दिया।

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