उत्तराखंड। प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली अस्थाई महिला कर्मियों के मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला सामने आया है. एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा है कि राज्य सरकार अस्थाई महिला कर्मियों को भी सरकारी महिला कर्मियों के बराबर मातृत्व अवकाश दे.
पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट के सरकारी अस्पताल में संविदा पर काम करने वाली शांति महरा की याचिका पर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को उक्त अवधि के दौरान न तो मातृत्व अवकाश दिया गया और न ही वेतन.समानता के अधिकार के खिलाफ सरकार के रवैय्ये को असंवैधानिक बताया गया.
प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली अस्थाई महिला कर्मियों के मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला सामने आया है। सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अस्थाई महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के प्रावधान नहीं है.दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाया.
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 6 माह का मातृत्व अवकाश देने का आदेश दिया है साथ ही ये भी कहा कि ऐसी समर्थ कामकाजी महिलाओं को सरकारी महिलाकर्मियों के बराबर सुविधाएं दी जायें. कोर्ट ने ये भी कहा है कि दैनिक मजदूरी करने वाली महिलाओं को भी जिन्होंने 240 दिन साल में काम किया हो उन्हें भी 60 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जाये.