बैंक आॅफ बड़ौदा के बाहर का चित्र |
समाचार लिखे जाते समय रात 1 बजे किसान बैंक के बाहर ठिठुर रहे थे। नोटबंदी को देशभक्ति से जोड़ने वाले क्रांतिकारियों ने किसानों को गर्म चाय का एक प्याला भी नहीं दिया। नोटबंदी का विरोध करने वाले भी किसानों की मदद करने नहीं आए और नगरपालिका ने एक अदद अलाव का इंतजाम भी नहीं किया। गनीमत यह है कि पुलिस ने डंडे मारकर किसानों को भगाया नहीं।
इनपुट: रामलखन रावत ramlakhan.rawat767@gmail.com
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