इंदौर। नोटबंदी के बाद पैदा हुए नकदी के संकट और वेतन की तारीख के बीच आए सरकारी आदेश ने उद्योगों की परेशानी बढ़ा दी है। श्रम विभाग के आदेश के बाद उद्योग सिर्फ बैंक खातों से वेतन भुगतान करने पर अड़े हैं। वहीं मजदूर नकदी की मांग पर। नतीजा उद्योगों में आंदोलन की स्थिति बनने लगी है।
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी के अनुसार ताजा स्थिति में कंपनी और श्रमिकों के संबंध बिगड़ने लगे हैं। नोटबंदी के बाद कंपनी के लिहाज से यह सबसे बड़ा नुकसान है। नकदी का संकट तो है ही। मजबूरी में कई कंपनियों ने अपनी शिफ्ट बंद की थी। नतीजा ज्यादातर श्रमिकों-कर्मचारियों का वेतन ही आधा बना है। इसके बाद अब भुगतान का संकट खड़ा हो गया है। श्रम विभाग ने 25 नवंबर को आदेश भेजा है कि भुगतान सिर्फ बैंक खातों से हो।
वेतन बांटने से पहले कंपनियों का मैनेजमेंट मजदूरों के खाते खुलवाने में लगा है। सिर्फ पीथमपुर में ही 70 हजार मजदूर हैं। मंगलवार को तमाम कोशिशों के बावजूद सिर्फ 301 श्रमिकों के खाते खुल सके। साफ है कि कब खाते खुलेंगे और कब तनख्वाह बंटेगी। मजदूर बैंक की लाइन से डर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें नकद ही पैसा मिले। इस कारण कई कंपनियों में असंतोष का फायदा उठाकर कुछ श्रमिक विद्रोह करवाने में जुट गए हैं।
तारीख आगे बढ़ी
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मप्र के अध्यक्ष ओपी धूत के मुताबिक तमाम उद्योगों में अकुशल और अस्थायी कर्मचारियों को दैनिक भुगतान होता था, जो अब रोक दिया गया है। खाते खुलवाने में परेशानी आ रही है, क्योंकि आदिवासी क्षेत्रों व अन्य प्रदेशों से आने वाले ज्यादातर श्रमिकों के पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। कुछ उद्योगों ने एसोसिएशन के पास पत्र भेजा है कि इस बार वेतन पुराने तरीके से बांटने की छूट के लिए श्रम विभाग से रियायत मांगी जाए। हम सभी उद्योगों से मशविरा कर रहे हैं। बहुमत के आधार पर कदम उठाया जाएगा।