सर्जिकल स्ट्राइक से पहले सोच विचार हुआ था, नोटबंदी बिना विचारे हो गई: खुलासा

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। जमीनी हकीकत, नेताओं के बयान और विद्वानों के अनुमान के इतर सरकारी दस्तावेज जो प्रमाणित कर रहे हैं, वो कहानी कुछ और ही है। जिस मोदी सरकार ने भारत पर हुए हमले का जवाब देने के लिए काफी सोच विचार किया था, उसने नोटबंदी बिना विचार किए ही कर दी। चंद घंटे पहले आरबीआई ने नोटबंदी की सिफारिश की और बिना सवाल किए सरकार ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया। 

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को यह जानकारी एक आरटीआई के जरिए मिली है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में नोटबंदी की घोषणा की और रिजर्व बैंक की तरफ से उन्हें यह प्रस्ताव कुछ देर पहले ही मिला था।

नोटबंदी के बाद जब वित्त सचिव शक्तिकांत दास से फैसले के बारे में सवाल पूछा गया था तब उन्होंने कहा था कि इस बात का जिक्र करने का कोई फायदा नहीं कि किसने फैसला लिया। जरूरी यह है कि फैसले के क्या परिणाम होंगे। दरअसल नियमों के अनुसार नोट बंद करने का फैसला केंद्र सरकार नहीं ले सकती। इसी वजह से आरबीआई की तरफ से प्रपोजल देना जरूरी था। हालांकि नोटबंदी की तैयारी पहले से हो रही थी।

यह है नोटबंदी की प्रक्रिया 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 के हिसाब से केंद्र सराकर के पास किसी भी नोट को बंद करने की शक्ति तो है लेकिन वह निर्णय सिर्फ केंद्र सरकार अकेले नहीं ले सकती। फैसले को लागू करने के लिए उसे RBI के सेंट्रल बोर्ड की तरफ से ‘सिफारिश’ की जरूरत होती है। वही सिफारिश आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले की गई।

रिजर्व बैंक का बोर्ड ही अधूरा है 
केंद्र सरकार को नोटबंदी की सिफारिश करने के लिए दस में से आठ बोर्ड मेंबर्स ने मीटिंग की थी। इसमें रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल, वित्त सचिव शक्तिकांत दास, आरबीआई डिप्टी गर्वनर आर गांधी और एसएस मुंद्रा, नचिकेता एम मोर, भरत नरोत्तम दोशी, सुधीर मांकड़ और अंजलि छिब दुग्गल मौजूद थे। हालांकि, कानून के हिसाब से बोर्ड में 21 सदस्य होने चाहिए। जिसमें से 14 स्वतंत्र होते हैं। वर्तमान में बोर्ड लगभग आधे लोगों ने से काम चला रहा है। बोर्ड में केवल 10 सदस्य हैं। 

RBI के पास नए नोट नहीं थे, फिर भी सिफारिश कर दी 
एक अन्य आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के मुताबिक 8 नवंबर को रिजर्व बैंक के पास 2,000 रुपये के नए नोटों में 4.94 लाख करोड़ रुपये थे। यह राशि नोटबंदी में अमान्य हुए करीब 20 लाख करोड़ रुपये के एक चौथाई से भी कम थी। मुंबई के आरटीआई ऐक्टिविस्ट अनिल गलगाली को रिजर्व बैंक की ओर से यह जानकारी मिली है। आरबीआई के मुताबिक नोटबंदी के वक्त 9.13 लाख करोड़ रुपये के 1,000 के नोट और 11.38 लाख करोड़ के 500 के नोट मौजूद थे। आरबीआई ने बताया कि नोटबंदी के ऐलान के वक्त उसके पास 24,730 लाख 2,000 रुपये के नए नोट मौजूद थे।

गौरतलब है कि नोटबंदी के बैंकों में नए नोटों की कमी के बाद विपक्षी दल केंद्र सरकार पर पूरी तैयारी के साथ इस निर्णय को लागू न किए जाने का आरोप लगा रहे थे। इसके बाद देश भर में कैश क्रंच की स्थिति देखी गई। इस ऐलान को लेकर रिजर्व बैंक और सरकार की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए गए।

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