नईदिल्ली। अब ऐसी तमाम संपत्तियों को राजसात किया जाएगा जो बेनामी हैं या जो आय के घोषित स्त्रोतों के अलावा काली कमाई से खरीदी गईं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया है। वो 1988 में बने एक ऐसे कानून को धारदार बनाकर लागू करने जा रहे हैं, जो बन तो 88 में ही गया था लेकिन लागू आज तक नहीं हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि 70 साल से बेईमानी के काले कारोबार में बड़ी शक्तियां जुड़ी हैं? ऐसे लोगों से मैंने मुकाबला करने का संकल्प लिया है. ऐसे में वे भी सरकार को पराजित करने के लिए नये तरीके अपना रहे हैं. लेकिन, भ्रष्टाचारी समझ लें कि वे डाल-डाल हैं, तो मैं पात-पात. हर काले कारोबारों को मिटा कर रहेंगे.
सोची-समझी रणनीति के तहत इसे पूर्व की सरकारों ने धारदार नहीं बनाया. यह कानून 1988 में बना था, लेकिन कभी भी न उसके नियम बनें, न ही अधिसूचित किया गया. ऐसे ही वो ठंडे बस्ते में रहा. हमने उसको निकाला है और बड़ा धारदार बेनामी संपत्ति का कानून हमने बनाया है. आने वाले दिनों में वो कानून भी अपना काम करेगा.
नोटबंदी बारे में कितनी सारी अफवाहें फैलायी गयीं. सांप्रदायिकता के रंग से रंगने का भी कितना प्रयास किया गया. फिर भी देशवासियों के मन को कोई नहीं डुला सका है. मैं जनता के इस सामर्थ्य को भी शत-शत नमन करता हूं. आज टीवी पर, समाचार-पत्रों में देखते होंगे कि रोज नये-नये लोग, नोट पकड़े जा रहे हैं. यह सब भी आम जनता की सूचना से संभव हुआ. सरकारी व्यवस्था से जितनी जानकारी आती है, उस से अनेक गुना ज्यादा सामान्य नागरिकों से जानकारियां आ रही हैं.
नोटबंदी से संबंधित नियम बार-बार जनता-जनार्दन के लिये बदले जा रहे हैं। हर पल एक संवेदनशील सरकार होने के कारण जनता की सुख-सुविधा को जितने भी नियम बदलने पड़ते हैं, हम बदलते हैं. सरकार लगातार फीडबैक लेने का प्रयास कर रही है. इसके आधार पर हम नये रास्ते तलाशते हैं.
मैं चाहता था कि काला धन व राजनीतिक दलों के वित्त पोषण के मुद्दे पर सदन में व्यापक चर्चा हो. यदि सदन चला होता तो जरूर चर्चा होती. कानून सब के लिए समान है, जो भी दोषी होगा पकड़ा जायेगा.
क्या है नया कानून
बेनामी से मतलब ऐसी संपत्ति से है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं होता है. कर से बचने और संपत्ति का ब्योरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी खरीदने से बचते हैं. जिस व्यक्ति के नाम से यह खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहते हैं और संपत्ति बेनामी कही जाती है. बेनामी संपत्ति चल या अचल दोनों हो सकती है. अधिकतर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति खरीदते हैं जिनकी आमदनी का स्रोत संपत्ति से ज्यादा होता है.