
नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है तुलरा भगाड़ी गांव। इस गांव में श्रद्धा का केंद्र स्थल है विरासनी देवी मंदिर और उसी के पास है हनुमान जी का मंदिर। मान्यता है कि पाण्डव काल में नर्मदा के इस पार माता विरासनी का मंदिर बनाया जाना था और उस पार कर्रा मठ्ठ बनना था। कर्रा मठ बन कर तैयार हो गया है लेकिन जहां देवी मंदिर बनना था वह अधूरा रह गया। इस स्थान को लोग अब खण्डहर के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में लोग इसे भाड़ी कहते है। कई दशक पहले भाड़ी की खुदाई में शिवपाल सिंह के नाम के एक आदमी को भारी मात्रा में सोना—चांदी और दो मूर्तियां मिली। इनमें से एक मूर्ति विरासनी देवी की थी और दूसरी हनुमान जी की थी। मान्यता है कि धन सम्पदा मिलते ही शिवपाल सिंह विस्तर पर पड़ गये और धीरे धीरे उनका पूरा परिवार खत्म हो गया।
यह कहानी आसपास के इलाके में खूब प्रचलित हुई। दूर—दूर से लोग यहां आने लगे। डिंडौरी जिले के समना पुर से कुछ लोग भाड़ी की खुदाई के लिये आये। लोगो की मान्यता है कि खुदाई के दौरान कुछ ऐसा हुवा कि खोदने वाले भाग गये। खुदाई करने वाले दल का मुखिया बेहोश हो गया। होश आया तो उसने कहा यह स्थान सब कुछ तबाह कर देगा। किसी को कुछ भी नहीं मिलेगा।
भाड़ी की खुदाई में जो दो मुर्तियां मिली उसकी बकायदा स्थापना की गयी। तुलरा भगाड़ी गांव में माता विरासनी का मंदिर बनाया गया जो करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है और कुछ ही दूरी पर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित की गयी। मान्यता है कि माँ और बजरंग बली भाड़ी के खजाने की रक्षा करते है लोग पूरी श्रद्धा से इन मंदिरो में पूजा—पाठ करते हैं लेकिन कोई भी भाड़ी की अकूत सम्पदा को पाने की हिम्मत नहीं जुटा पात है।