
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश निगम त्यागी की रिपोर्ट के अनुसार उनके इस्तीफे की पटकथा 12-13 दिसंबर को भोपाल के एक होटल में लिखी गई थी। वे भोपाल एक निजी यात्रा में अपने परिवार के साथ बिना किसी तामझाम के आए थे। श्यामला हिल्स स्थित जिस आलीशान होटल में वे ठहरे थे, उनके कक्ष के बाहर अधिकांश समय डीएनडी (यानी डू नॉट डिस्टर्ब) लिखी तख्ती लगी रही। फिर भी उनसे कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुलाकात की।
विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के यहां वे शादी समारोह में आए थे, लिहाजा उनसे तो केरवा कोठी जाकर मिले ही। यहां ही उनके इस्तीफे एवं कांग्रेस की मदद करने की योजना बन जाने की खबर है। जंग की इस दौरान मोबाइल पर भी तमाम नेताओं और नौकरशाहों से बात हुई। इन नौकरशाहों से जंग ने इस्तीफे की बात भी की थी।
कांग्रेस को जंग की जरूरत
नजीब जंग पर कांग्रेस का यह अहसान तो है ही कि उन्हें कांग्रेस की मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर नियुक्त किया था। जंग का पूरा परिवार कांग्रेस विचारधारा वाला है। दिल्ली में जब तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार रही तब तक उनका सरकार के साथ कोई टकराव नहीं हुआ, पर जैसे ही कांग्रेस सत्ता से हटी, दिल्ली की केजरवाल सरकार एवं नजीब जंग के बीच कभी न खत्म होने वाली जंग छिड़ गई। कांग्रेस को दिल्ली में फिर अपने पैर जमाने के लिए नजीब जंग की जरूरत है। वे कांग्रेस में आकर यह मदद कर सकते हैं और बाहर रहकर भी।