पण्डित चंद्र शेखर। कहते है दरिद्रता के समान कोई दुख नही, क्योंकि आदमी के सारे जतन धन के लिये होते है इसके बगैर जीवन की कल्पना ही बेकार है। साथ ही जीवन कष्टपूर्ण हो जाता है। कई बार हमने देखा है की बहुत प्रयत्नों के बाद भी आदमी अपने घर का गुजारा नहीँ चला पाता, वही कुछ परिवारों की दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होती है। इसका कारण क्या है। हमने इसका ज्योतिषी कारण जाना। उसके अनुसार धन का सम्बन्ध कर्म से ज्यादा आपके पुण्य, आशीर्वाद, और कृपा से है।
ज्योतिषी व्याख्या
ज्योतिष के अनुसार धन का सम्बन्ध गुरू ग्रह से होता है। इस ग्रह की उत्तम स्थिति आदमी की आर्थिक स्थिति को सुधारती है। वही इस ग्रह के अस्त होने, राहु से ग्रस्त होने और शनि से पीडित होने से जातक की आर्थिक हालात बिगड़ती है। गुरू ग्रह धर्म, ज्ञान, पुण्य कर्म तथा बढ़ो का कारक माना गया है। यह ग्रह शनि की राशि मकर मे नीच राशि का माना गया है। इसलिये कर्म से ही धन आयेगा ऐसा नही है, वही चंद्र की राशी मे यह ग्रह उच्च का होता है, चन्द्रमा माता, मन तथा निर्मल भाव का कारक होता है। इसलिये माता का आशीर्वाद धन प्राप्ति के लिये परम आवश्यक है।
शुक्र ग्रह को ग्रह लक्ष्मी कहा गया है सारा ऐश्वर्य इनकी कृपा पर ही निर्भर है। शुक्र महाराज गुरू की राशि मीन में उच्च के होते है। इससे ये सिद्ध होता है की संसार मे यदि धन सम्पति व ऐश्वर्य चाहिये तो आपको माता पिता की सेवा के अलावा गुरूजनों की सेवा करके उनसे आशीर्वाद भी लेना पड़ेगा तभी हम सुख सम्पत्ति व शांति पायेंगे।
पण्डित चंद्र शेखर नेमा "हिमांशु "