पतंजलि वाले रामदेव की पूरी कहानी: साइकिल पर जड़ीबूटियां बेचते थे

Bhopal Samachar
रामदेव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अली सैयदपुर गांव से ताल्लुक रखते हैं। बाबा रामदेव का मन बचपन में ही योग में लगने लगा था। उनका बचपन हरियाणा के जिले महेंद्रगढ़ के अलीपुर गांव में बीता। जब वह 10 साल के थे तो उनका मन अपनी उम्र के बच्चों की तरह खेलकूद में कम ही लगता था। वह गांव में कभी-कभार लगने वाले योग शिविरों में दिलचस्पी लेते थे। इन योग शिविरों में रामकृष्ण की उम्र के बच्चे कम आते थे, इसीलिए उनकी दोस्ती अपनी उम्र से बड़े लोगों से होने लगी। योग के प्रति लगाव के कारण एक दिन उन्होंने घर-बार छोड़कर ऋषिकेश जाने की ठान ली।

सेकेंड हैंड किताबें लेकर पढ़ता था
एक टीवी रियल्टी शो में बाबा ने अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहा है कि मैं बचपन में खेती भी करता था। शुरुआती एजुकेशन तो फ्री में होती थी, फिर दो रुपए फीस लगने लगी। मैं सेकेंड हैंड किताबें लेकर पढ़ता था और क्लास में फर्स्ट रैंक आती थी। मैं किताबें इतनी साफ रखता था कि अगले साल वो खरीदी हुई कीमत से ज्यादा में बिकती थी। 

पहले मैं बहुत मोटा था 
बाबा ने बताया कि ‘मैं जब 9 वर्ष का था तो बहुत बीमार रहता था। बहुत मोटा भी था। सभी मुझे चिढ़ाते थे। फिर मैंने योग करना शुरू किया और तब से लेकर आज तक 5 बजे उठता आया हूं और परिणाम सबके सामने है।

धार्मिक टीवी चैनल से मिली पहचान
बाबा रामदेव तब घर-घर में जाना पहचाना नाम बन गए, जब एक धार्मिक टीवी चैनल ने उन्हें योग के एक प्रोग्राम में फीचर करना शुरू किया। यहीं से बाबा रामदेव ने योग को एक बड़ा ब्रांड बनाने की शुरुआत कर दी। जैसे-जैसे योग से लोगों का जीवन बदलने लगा, वैसे-वैसे उनकी साख बढ़ने लगी। टीवी ने रामदेव को घर-घर पहुंचा दिया और उनके आश्रम के बने प्रोडक्ट्स भी घरों में नजर आने लगे।

पतंजलि आयुर्वेद नाम की बनाई कंपनी
पतंजलि कोई लिस्टेड कंपनी नहीं है जिसका टर्न ओवर और हिसाब-किताब मिलता हो, लेकिन मोटा अंदाजा है कि बाबा रामदेव के पतंजलि ब्रांड की ही कीमत आज की तारीख में 2,250 करोड़ रुपए तक है। पतंजलि आयुर्वेद ने बड़े शहरों में फ्रेंचाइजी के जरिए अपने प्रोडक्ट बेचना शुरू किया था। बाबा के बिजनेस का ये सिलसिला अब कॉस्मेटिक से लेकर किराना तक पहुंच चुका है।

वॉलेंटियर्स के जरिए शुरू किया कारोबार
दरअसल साल 2000 से आयुर्वेदिक दवाओं से लेकर फूड प्रोडक्ट्स तक लोगों तक पहुंचाने के बारे में योजनाएं बनाने का सिलसिला शुरू हुआ और वॉलेंटियर्स के जरिए कारोबार को फैलाना शुरू हुआ। तब के वॉलेंटियर और अब योग सिखाने वालों के नेटवर्क ने धीरे-धीरे डिस्ट्रीब्यूशन चैनल का रूप लिया और अब इस कंपनी के बढ़ते कारोबार ने बाजार में धूम मचाना शुरु कर दिया है।

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