धनंजय प्रताप सिंह/भोपाल। निजी बस आपरेटरों की मनमानी और छोटे वाहनों में क्षमता से कई गुने ज्यादा यात्रियों को भरने से इन दिनों सड़क पर सफर असुरक्षित हो गया है। सिर्फ 2016 में अब तक बस हादसों में 100 से ज्यादा निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं। इस वजह से सड़क परिवहन निगम बंद होने के 11 साल बाद राज्य सरकार एक बार फिर प्रदेश में सरकारी बसें दौड़ाने पर विचार कर रही है।
इसके लिए इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट एथारिटी को सपनि के विकल्प के रूप में तैयार किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि एक साल में सपनि का विकल्प तैयार कर लिया जाएगाा। सूत्रों के मुताबिक आम लोगों को सुरक्षित सफर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार एक बार फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सरकारी सिस्टम खड़ा करने पर विचार कर रही है।
खासतौर से दूरस्थ अंचलों में जहां,परिवहन का कोई जरिया नहीं है। इसी सप्ताह राजगढ़ में बस-ऑटो की टक्कर में एक दर्जन से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद 'सपनि' का विकल्प तैयार करने पर सरकार गंभीर हो गई है।
इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी
राज्य सरकार का विचार है कि इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट एथारिटी के जरिए बसों का संचालन और बसस्टैंड का प्रबंधन शुरू किया जाए। गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिह के मुताबिक छोटे वाहनों के कारण दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। इन दिनों लंबे-लंबे रूट्स पर भी छोटे वाहन चलाए जा रहे हैं, जिनके कारण दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
सिंह ने बताया कि सड़क परिवहन निगम बंद किए जाने के बाद से अब तक उसके कई कानूनी मामले अदालतों में पेंडिंग हैं इसलिए फिलहाल ये विचार है कि इंटरसिटी ट्रांसपार्ट एथारिटी के जरिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुरक्षित बनाया जाए।
इसके जरिए हम प्रायवेट आपरेटरों की बसें अनुबंधित करेंगे, उन्हें फायदे वाले रूट्स पर परमिट देने की शर्त ही यह होगी कि कुछ घाटे वाले मार्गों पर भी उन्हें बसें चलाना होंगी। इसके अलावा ये भी यह भी सोचा जा रहा है कि लोक परिवहन से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार की जितनी योजनाएं हैं उन्हें एक ही एथारिटी के जरिए संचालित किया जाए।