जनता से पाई पाई का हिसाब, अफसरों को खुली छूट

Bhopal Samachar
भोपाल। मोदी सरकार ने नोटबंदी करके जनता की पार्इ् पाई का हिसाब अपने हाथ में ले लिया है। बात बात पर पूछताछ हो रही है। छानबीन हो रही है। खातों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं लेकिन इसी मोदी सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों को हजारों करोड़ की छूट दे रखी है। इनके मामले में कोई जांच नहीं, कोई पूछताछ नहीं कि कितना पैसा कहां से आया। 

मोदी सरकार ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को अपने बैंक अकाउंट और परिवार के सदस्यों की प्रॉपर्टी की जानकारी नहीं देने की छूट दे दी है। इसके लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून-2016 में बदलाव कर दिया गया है। इसकी जानकारी कार्मिक मंत्रालय ने सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को भेज दी है। 

केंद्र ने 2013 में यह कानून बनाया था लेकिन अफसरों ने इसे स्वीकार नहीं किया। सरकार ने संपत्ति की जानकारी मांगी। अफसरों ने नहीं दी। ब्योरा देने की मियाद पांच बार बढ़ाई गई। 31 दिसंबर तक जानकारी देने के को कहा, लेकिन हाल ही में सरकार ने कानून में संशोधन कर अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को बैंक खाते और परिवार के सदस्यों के नाम चल-अचल संपत्ति को सार्वजनिक करने की अनिवार्यता को हटा दिया है।

जज तक देते हैं ब्योरा
1.अफसरों की कई कैटेगरी को पहले से ही उनकी, उनके पति/पत्नी और डिपेंडेंट बच्चों की परिसंपत्तियों का खुलासा किए जाने संबंधी कड़े नियम हैं।
2.लोकसभा, विधानसभा चुनाव के दौरान सभी पार्टी के उम्मीदवारों को परिसंपत्तियों और देनदारियों की जानकारी देना जरूरी होता है।
3. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए परिसंपत्तियों के खुलासे का नियम भी 2009 से लागू है।

कई देशों में हैं नियम
दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, फिलीपींस, द. कोरिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, रोमानिया आदि कई ऐसे देश हैं, जहां गवर्नमेंट अफसर के साथ ही उसके पति/पत्नी और आश्रित बच्चों की परिसंपत्तियों की जानकारी सार्वजनिक करना जरूरी है।

ब्यूरोक्रेट्स के दबाव में सरकार
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस संतोष हेगड़े के मुताबिक, "केंद्र सरकार ट्रांसपेरेंसी की बातें करती है, उसे लागू नहीं करती। ब्यूरोक्रेट्स के मामले में पीछे हटने से साफ है कि सरकार उनके दबाव है। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (पीसीए) के तहत दंडनीय अपराधों से जुड़ी शिकायतें मिलने और उनकी जांच करने की मंशा से ही यह कानून बनाया गया था।

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