
महिला के मुताबिक इस्लामिक कुरीतियों से लड़ने के लिए उसने ऐसा कदम उठाया। उसका कहना है कि अब वह कुरीतियों के खिलाफ शिवसेना के साथ लड़ाई लड़ेगी। महिला के मुताबकि 2014 में उसके पति ने उसे तलाक दे दिया था। इद्दत की अवधि के बाद उसने पति का घर छोड़ दिया था। उस वक्त महिला के 2 बच्चे थे। इसी महीने की 18 और 25 दिसंबर को महिला का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश हुई थी, लेकिन कोशिश नाकाम रहने पर गुपचुप तरीके से इसे अंजाम दिया गया।
काफी लंबे समय से तीन तलाक मामले पर बहस चल रही है। जहां एक तरफ केन्द्र सरकार इसे महिलाओं के अधिकारों का हनन बता रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला चल रहा है। महिलाओं के हक के लिए कई मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में एकतरफा तीन तलाक व बहुविवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई है।