संविदा शिक्षकों की भर्ती फिर झमेले में पड़ गई

भोपाल। वित्त विभाग की स्वीकृति से ज्यादा का प्रस्ताव देने के कारण संविदा शिक्षकों की भर्ती झमेले में पड़ गई है। वित्त ने 18 हजार पदों की स्वीकृति दे रखी है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने 41 हजार 205 पदों का प्रस्ताव कैबिनेट को भेज दिया। मुख्य सचिव बीपी सिंह ने आपत्ति लगाकर प्रस्ताव लौटा दिया।

प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) भी दो बार परीक्षा की तारीख घोषित कर चुका है, लेकिन यह प्रक्रिया कभी पद स्वीकृति में देरी, तो कभी आरक्षण नियमों के कारण उलझती रही। इस बार अप्रैल-2017 में परीक्षा कराने का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया था। उल्लेखनीय है कि पिछली बार वर्ष 2011 में संविदा शिक्षकों की भर्ती हुई थी और शेष रिक्त पदों के लिए वर्ष 2012 से भर्ती की प्रक्रिया चल रही है।

शिक्षकों की जरूरत 
नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" के तहत प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 35:1 होना चाहिए। स्कूलों में फिलहाल 41 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इनके स्थान पर अतिथि शिक्षकों से पढ़ाई करवाई जा रही है।

हर साल भर्ती करने के निर्देश 
सूत्र बताते हैं कि मुख्य सचिव ने स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से संविदा शिक्षकों की भर्ती हर साल करने की योजना बनाने को कहा है। ताकि लंबे समय तक इतने पद खाली न रहें और पढ़ाई प्रभावित न हो। अफसरों ने सफाई दी कि चार साल से भर्ती न होने के कारण इतने पद खाली हो गए। एक बार में ये पद भरकर अगली बार से संस्थागत व्यवस्था बना देंगे।

विभाग ने दी सफाई
प्रस्ताव लौटने के बाद विभाग ने शासन को सफाई दी है, जिसमें कहा गया है कि पहले 39 हजार पद मांगे थे, लेकिन वित्त विभाग ने 18 हजार की स्वीकृति दी थी। पिछले चार साल में शिक्षक रिटायर भी हो गए और स्कूलों को अपग्रेड कर नए पद भी स्वीकृत किए गए। इसलिए पदों की संख्या बढ़ गई है। इन पदों को स्वीकृत कराने का अनुरोध भी किया गया है।

इनका कहना है
प्रस्ताव पर कुछ आपत्ति आई है। जिसका निराकरण कर दिया गया है। हर साल भर्ती के निर्देश पर जल्द ही काम शुरू करेंगे। 
नीरज दुबे, आयुक्त, लोक शिक्षण

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