नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर देश में विपक्ष तो सरकार का विरोध कर रहा है लेकिन अब इस मुद्दे पर अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने एक लेख छापा है। जिस अंक में यह लेख छपा है वो 27 जनवरी 2017 को आएगा। इस लेख में कहा गया है कि नोटबंदी का फैसला कर सरकार ने जनता के पैसे पर डाका डाला है और इससे भारत को खरबों का नुकसान होगा।
यह लेख पत्रिका के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ स्टीव फार्ब्स ने लिखा है। उनके अनुसार देश की ज्यादातर नकदी बंद कर दी कई और स्तब्ध लोगों को नोट बदलने के लिए कुछ ही हफ्तों का समय मिल पाया। इसमें आगे लिखा है कि नोटबंदी के बाद मची आर्थिक उथल-पुथल को इसलिए भी मजबूती मिली क्योंकि यह बात कही जाने लगी कि सरकार के पास जरूरत के अनुसार नोट नहीं है।
नोटों के आकार से एटीएम मशीनों में दिक्कत से भी परेशानी खड़ी हो गई। पत्रिका ने भारतीय अर्थव्यवस्था के नकदी पर ज्यादा निर्भर होने का जिक्र करते हुए लिखा है कि देश में नियमों और टैक्स के अतिरेक की वजह से अनौपचारिक तरीके अपनाते हैं। इस लेख में नोटबंदी की तुलना 1970 के दशक में हुई नसबंदी तक से की गई है।
फोर्ब्स ने सरकार के इस कदम को स्तब्ध करने वाला बताया और लिखा है कि सरकार ने सहीं प्रक्रिया के पालन का दिखावा भी नहीं और किसी लोकतांत्रिक देश की सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना स्तब्ध करने वाला है। सरकार इस बात को छिपा रही है कि इस फैसले से देश को अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ेगा।