नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद जहां सरकार इस फैसले के पक्ष में एक के बाद एक दलील दे रही है तो वहीं विपक्ष इसकी कमिया गिनवा रही है। इसी क्रम में आज केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नोटबंदी की तुलना प्रसव पीड़ा से कर दी। उन्होंने नोटबंदी के कारण हो रही परेशानियों की तुलना प्रसव पीड़ा से करते हुए कहा था कि नोटबंदी भी प्रसव पीड़ा की तरह है, जिसका बच्चे के जन्म की तरह ही खुशियों से भरा होगा।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से हो रही पीड़ा वैसी ही पीड़ा है जो महिलाएं प्रसव के दौरान झेलती है। दर्द झेलने के बाद अंतत सभी को उसी तरह खुशी का एहसास होगा जैसा कि बच्चे के पहली बार रोने पर होता है। पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कि नोटबंदी से लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन इसका परिणाम निश्चित तौर पर अच्छा होगा।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से देश नकदी रहित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जो देश के विकास के लिए सराहनीय कदम है। हलांकि उन्होंने अपने कथन को सुथारते हुए कहा कि सरकार का मकसद देश को नकदी रहित नहीं बल्कि देश को कम नकदी की ओर ले जाना है। लेकिन लोगों को उनकी ये बात रास नहीं आई। सोशल मीडिया पर लोगों ने रविशंकर प्रसाद को उनके इस बयान के लिए जमकर खरी-खोटी सुनाई।
उन्हें अपने बयान के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही है। एआईबी के रोहन जोशी ने पूछा कि क्या मंत्रीजी को पता है कि भारत में हर साल बच्चे को जन्मते समय 45,000 महिलाओं की मौत हो जाती है। किसी ने कहा कि तो लगता है कि देश को पटरी पर आने में 8 महीने बचे हैं। किसी ने उनके बयान को भद्दा मजाक बताया।