नई दिल्ली। राजनीति में कालेधन को पूरी तरह से बंद करने के लिए चुनाव आयोग चाहता है कि राजनैतिक पार्टियों को मिलने वाला गुप्त चंदा पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। या फिर अधिकतम 2000 रुपए तक का चंदा ही अज्ञात व्यक्ति की ओर से स्वीकार किया जाए। आयोग ने मोदी सरकार से इस संदर्भ में कानून संशोधित करने का आग्रह किया है। फिलहाल राजनीतिक दलों द्वारा अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर ‘‘परोक्ष आंशिक प्रतिबंध’’ है। लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रूपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।
आयोग ने साथ ही यह भी प्रस्ताव दिया है कि सिर्फ उन्हीं राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स में छूट मिलनी चाहिए जो चुनाव लड़ती हों और लोकसभा या विधानसभा चुनावों में जीती हों। दरअसल इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 13ए के मुताबिक राजनीतिक दलों को आयकर छूट मिली हुई है. आयोग ने कहा कि अगर सभी पॉलिटिकल पार्टी को टैक्स लाभ मिलेगा तो ऐसे मामले हो सकते हैं जहां सिर्फ इनकम टैक्स में छूट का फायदा उठाने के लिए राजनीतिक दल बनाए जा सकती हैं.
चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग चाहता है कि राजनीतिक दल 2,000 रुपये से ज्यादा के चंदों का स्रोत बताएं. आयोग ने सरकार को भेजे अपने सुझाव में कहा है कि पार्टियों को 2 रुपये से ज्यादा के ‘गुप्त’ चंदे मिलने पर रोक लगनी चाहिए. चुनाव आयोग ने सरकार से कानूनों में संशोधन की मांग करते हुए कहा है कि 2000 रुपये और ज्यादा के अज्ञात योगदान को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
नोटबंदी के बीच आम लोगों को हो रही परेशानियों के बीच खबरें फैली थीं कि राजनीतिक दलों के अमान्य हो चुके पुराने नोटों को जमा करने पर कोई रोक नहीं है. इसके चलते कल सरकार को सफाई देनी पड़ी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐसी रिपोर्ट्स को भ्रामक बताया. सरकार ने साफ किया कि राजनीतिक दल अब चंदे के रूप में पुराने नोट नहीं ले सकते हैं.