
मंत्रियों ने पूछा कई बार अंगूठे के निशान नहीं मिल पाते। ऐसे में पीओएस मशीन से व्यक्ति की पहचान कैसे होगी? गांव में नेटवर्क ही नहीं मिलता है, तो कैशलेस व्यवस्था कैसे काम करेगी? 40 हजार रुपए भेजने हैं और गलती से 4 लाख चले गए तो कैसे वापस आएंगे? बैंक अफसरों ने जवाब दिया लेकिन मंत्री संतुष्ट नहीं थे।
बैठक में वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि थ्योरी से ज्यादा जरूरत प्रैक्टिकल पर जोर देने की है। जब लोग इन तकनीकों का उपयोग सार्वजनिक तौर पर करने लगेंगे तो दूसरे भी प्रोत्साहित होंगे। प्रशिक्षण निचले स्तर पर भी दिया जाए, ताकि कैशलेस को लेकर जनजागृति आ सके।
कुछ मंत्रियों ने बैंक अधिकारियों से पूछा कि स्मार्ट कार्ड या अन्य तरह के माध्यमों का उपयोग करने पर बैंक चार्ज के रूप में कुछ राशि कट जाती है? इस पर बैंक अधिकारियों ने बताया कि ऐसा नहीं है। इसको लेकर भ्रांतिया है। वहीं ये भी पूछा गया कि कई लोगों को मोबाइल फोन चलाने नहीं आते, अक्सर अंग्रेजी के चलते दिक्कत पेश आती है, एप की भी उतनी समझ नहीं है, तो ऐसे में क्या होगा?
इन तरीकों से कर सकते हैं कैशलेस लेन-देन
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक अजय व्यास ने प्रजेंटेशन में बताया कि यूनीफाइड पेमेंट सिस्टम, स्मार्ट फोन, यूएसएसडी, सामान्य मोबाइल, ई-वॉलेट (बटुआ), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली, स्मार्ट कार्ड और प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) के माध्यम से लेन-देन किया जा सकता है।
केंद्र ने भी सभी बैंकों का एक प्लेटफार्म यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस तैयार किया है। इस एप के जरिए एक लाख रुपए तक का भुगतान एक दिन में किया जा सकता है। गांवों में नेटवर्क न होने के सवाल के जवाब में बताया कि स्मार्ट फोन और नेट होने की जरूरत नहीं है। एप केवल मैसेज पर काम करता है। एक दिन में 5 हजार रुपए तक का लेन-देन हो सकता है।
सभी मंत्री नहीं पहुंचे
बैठक में पूरी कैबिनेट मौजूद नहीं रही, जबकि मुख्यमंत्री ने पिछली कैबिनेट में ही कह दिया था कि सभी इसमें मौजूद रहेंगे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव कुछ देर के लिए ही शामिल हुए। बैठक में जयंत मलैया, डॉ.गौरीशंकर शेजवार, उमाशंकर गुप्ता, कुसुम महदेले, पारसचंद जैन, अर्चना चिटनिस, माया सिंह, डॉ.नरोत्तम मिश्रा, रुस्तम सिंह, भूपेंद्र सिंह, जयभान सिंह पवैया, दीपक जोशी, सुरेंद्र पटवा, विश्वास सारंग और संजय पाठक मौजूद थे।