नई दिल्ली। श्रम मंत्रालय चाहता है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के चार करोड़ से ज्यादा सदस्यों को पिछले साल की भांति 8.8 फीसद ब्याज चालू वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान भी मिले। वह वित्त मंत्रालय को भी इसके लिए तैयार करने का प्रयास कर रहा है।
वित्त मंत्रालय ने इस साल के शुरू में पिछले वित्त वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.7 फीसद कर दिया था। जबकि श्रम मंत्रालय की अगुवाई वाले ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) ने 8.8 फीसद ब्याज देने का फैसला किया था।
श्रम संगठनों द्वारा वित्त मंत्रालय के निर्णय के कड़े विरोध के बाद सरकार को इस मामले में रोलबैक करना पड़ा और फैसले को पलटते हुए 8.8 फीसद ब्याज देने के लिए मंजूरी दे दी। सूत्रों के अनुसार इस साल श्रम मंत्रालय पिछले साल की स्थिति से बचने के लिए पहले ही वित्त मंत्रालय से अनौपचारिक मंजूरी लेने का प्रयास कर रहा है। ब्याज तय करने के लिए सीबीटी की बैठक सोमवार को होने वाली है।
सामान्य प्रक्रिया के अनुसार सीबीटी ब्याज दर के बारे में फैसला करता है और वित्त मंत्रालय इस पर सहमति देते हुए इसकी अधिसूचना जारी करता है। पीएफ में जमा, ब्याज आय और निकासी पर आयकर में छूट पाने के लिए यह अनिवार्य प्रक्रिया है।
एक सूत्र ने कहा कि इस मामले में सहमति बनाने के लिए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्त राज्यमंत्री अर्जुम राम मेघवाल से मुलाकात की और ब्याज दर पिछले साल के बराबर 8.8 फीसद रखने के लिए समझाने का प्रयास किया।
जहां तक ईपीएफ की आय का सवाल है, चालू वित्त वर्ष में ईपीएफओ को कुल करीब 39,084 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है। 8.8 फीसद ब्याज देने के बाद उसे 383 करोड़ रुपये का घाटा होगा। जबकि 8.7 फीसद ब्याज देने पर 69.34 करोड़ रुपये सरप्लस होगा।
लेकिन श्रम मंत्रालय 8.8 फीसद ब्याज देने के लिए पिछले साल के बचे सरप्लस 409 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करना चाहता है। पिछले साल 8.8 फीसद ब्याज देने के बाद भी सरप्लस रह गया था।
इसके विपरीत कहा यह जा रहा है कि वित्त मंत्रालय के दबाव के चलते श्रम मंत्रालय पीएफ का ब्याज पीपीएफ जैसी दूसरी लघु बचत स्कीमों के बराबर कर सकता है। पिछले सितंबर में सरकार ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए लघु बचत योजना का ब्याज 0.1 फीसद घटाने का फैसला किया था।
इससे पीपीएफ, किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि और दूसरी योजनाओं में ब्याज दर कम हो गया। पीपीएफ का ब्याज घटाकर आठ फीसद कर दिया गया। जबकि तीसरी तिमाही में इस पर 8.1 फीसद ब्याज दिया गया था।