नई दिल्ली। गुस्सा कई बार फायदे वाला साबित होता है। अपने एक्सीडेंट के बाद हालात देखकर मौजूद कानून पर गुस्साए हरमन सिंह सिंधू ने माथा पीटने के बजाए हालात बदलने की लड़ाई शुरू की। सड़कों को शराब से मुक्त कराने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की और सुप्रीम कोर्ट में अंतत: जीत हासिल करके देश भर के हाईवे को शराब मुक्त करा दिया। उम्मीद है जल्द ही देश की दूसरी सड़कें भी शराब मुक्त हो जाएंगी।
देशभर में राजमार्गों पर बेतरतीब तरीके से खुली शराब दुकानों के खिलाफ हरमन सिंह सिंंधू बीते कई सालों से सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले उनकी राह में कई कठिन चुनौतियां भी आई, लेकिन सिंधू ने हिम्मत नहीं हारी। शराब माफियाओं की तरफ से उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां भी मिली। याचिकाकर्ता हरमन सिंह सिंधू बीते 20 सालों से शराब माफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।
कार हादसे के शिकार हुए थे हरमन
अक्टूबर 1996 में हरमन अपने तीन दोस्तों के साथ हिमाचल से चंडीगढ़ कार से आ रहे थे। तब हरमन का दोस्त गाड़ी चला रहा था। तभी अचानक गाड़ी अनियंत्रित हो गई और कार कच्ची सड़क से फिसलकर खाई में जा गिरी। हरमन ने बताया कि खाई में गिरने के बाद हम सभी शांत थे। गाड़ी 60-70 फीट नीचे गिरने के दौरान कई बार घुमती रही। मैं अपने आपको धीमी गति में गाड़ी को घूमते हुए देख रहा था।
दुर्घटना के बाद उनके दोस्तों ने उन्हें गाड़ी से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वे ज़रा सा भी हिल नहीं पा रहे थे। उनके दोस्तों ने उन्हें चंडीगढ़ के PGI में पहुंचाया। इस सड़क हादसे के बाद 26 साल की उम्र में हरमन सिंह सिंधू गर्दन में स्पाइनल इंजरी होने के बाद उनके शरीर के गर्दन से नीचे का सारा हिस्सा पैरालाइज़्ड हो गया।
अस्पताल में हुआ अहसास
अस्पताल में रहते हुए हरमन को यह अहसास हुआ कि अधिकतर मरीज़ सड़क दुर्घटना के ही शिकार हैं। आरटीआई से भी इस सवाल का जवाब हरमन को मिल गया कि देश में सड़क दुर्घटना में शिकार लोगों की संख्या बहुत है। इसी एहसास की वजह से उन्होंने यह लक्ष्य निर्धारित किया कि वे न केवल भारत में अपितु बाहर भी सड़क सुरक्षा व यातायात नियमों के प्रति आमजन में जागरूकता लाने का काम करेंगे।
चौंकाने वाले हैं सड़क हादसों के आकंड़े
भारतीय सड़कों पर हर चार मिनट में एक इंसान की जान जाती है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। आंकड़ों की मानें तो, पिछले साल 1,46,133 की मौत सड़क दुर्घटना में हुई।
कई अध्ययन में पाया गया कि शराब इन मौतों की या फिर दुर्घटनाओं की मुख्य वजह है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 30 से 35 फीसदी दुर्घटनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती हैं।
बेंगलुरु के एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, 44 फीसदी दुर्घटनाओं की वजह शराब है। साथ ही चंडीगढ़ के PGI के अध्ययन के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती 200 में से 85 ड्राइवर्स के खून में शराब की मात्रा पाई गई।
हरमन के मुताबिक, करीब पांच साल पहले अप्रैल 2012 में इस पर अध्ययन करना शुरू किया था। इसके लिए राजस्थान सहित पंजाब, हरियाणा, हिमाचल में करीब आठ हज़ार किलोमीटर की यात्रा की और लोगों से बात करने के साथ आरटीआई का सहारा भी लिया।
ऐसा रहा हरमन की जीत का सफर
2012- हरमन ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे पर शराब की बिक्री बंद करने को लेकर एक याचिका दाखिल की।
2014- हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि शराब न ही हाईवेज़ पर दिखने चाहिए और न ही उसकी बिक्री होनी चाहिए।
2015- पंजाब और हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और उन्हें स्टे ऑर्डर मिल भी गया।
2015- हरमन ने सुप्रीम कोर्ट का फिर से दरवाज़ा खटखटाया।
2016- सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईवे पर शराब की बिक्री को बैन कर दिया।