
गौरतलब है कि कोचिंग संस्थान छात्रों से मोटी फीस वसूलते हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता की मॉनीटरिंग नहीं होती। वे छात्रों से जितनी फीस लेते हैं उसके मुताबिक सुविधा और शिक्षा देते हैं या नहीं इस पर भी कोई विभाग नजर नहीं रखता। इस कारण इसका सीधा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है।
लौटाते भी नहीं है फीस, कोई पैमाना नहीं
कोचिंग संस्थान छात्रों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के नाम पर हजारों रुपए एडवांस फीस लेते हैं। अगर छात्र किसी कारण से बीच में कोचिंग छोड़ता भी है तो उसे फीस वापस नहीं की जाती। इसके अलावा यहां की फैकल्टी के लिए भी किसी प्रकार के मानक तय नहीं है। मसलन, पढ़ाने वालों की शिक्षा का स्तर क्या हो, छात्रों को किस तरह की सुविधा दी जाए, कितनी फीस ली जाए आदि। ये मनमर्जी से छात्रों से फीस लेते हैं। इस कारण कोचिंग संस्थानों के मानक तय किए जाने की तैयारी चल रही है।
इनका कहना है
कोचिंग संस्थानों पर नजर लगने के लिए शासन को एक्ट बनाने को कहा गया है। इसकी तैयारी चल रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि कोचिंग संस्थानों की मनमर्जी न चल सके और छात्रों को नुकसान न हो। इसलिए इनके मानक तय किए जाने हैं। इस दिशा में काम चल रहा है।
दीपक जोशी, राज्य मंत्री,तकनीकी शिक्षा