
इस हार के लिए गोयल ने प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान हालातों को बताया। उन्होंने कहा कि जब से प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व अरुण यादव के हाथों में आया है, तब से पार्टी सिर्फ एक लोकसभा और एक विधानसभा को छोड़कर नगरी निकाय से लेकर विधानसभा और लोकसभा के उप चुनाव हारती रही है। गोयल ने कहा कि यदि पार्टी नेतृत्व उन्हें 100 दिन के लिए प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने पर विचार करता है तो वे प्रयास करेंगे कि पार्टी में चल रही खींचतान को खत्म कर 2018 में दोबारा कांग्रेस को काबिज करा सकें।
अल्पसंख्यक नेता भी अरुण यादव से नाराज
वहीं पार्टी के अल्पसंख्यक नेता भी बीते दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं जिन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को ज्ञापन सौंपा है। पार्टी के पूर्व सचिव अकबर बेग और सईद अहमद सुरूर की ओर से सौंपे गए इस ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश नेतृत्व द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सम्मान नहीं दिया जा रहा है। पार्टी का प्रदेश कार्यालय कारपोरेट आफिस की तरह चल रहा है जो सुबह साढ़े दस बजे खुलता है और शाम 5 बजे बंद हो जाता है। राजनीतिक गतिविधियां लगभग शून्य हो गई है।
भोपाल में जिलाध्यक्ष ही नहीं है
इसका परिणाम बीते दिनों कांग्रेस द्वारा नोट बंदी को लेकर आयोजित रैली में दिखा जिसमे चुनिंदा नेता ही शामिल हुए। जिला अध्यक्ष का पद बीते डेढ़ साल से प्रभार पर चल रहा है। नया जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है जो पार्टी का बड़ा वोट है। यदि पार्टी को 2018 के चुनाव में दोबारा सत्ता में काबिज होना था।