भोपाल। शासकीय नवीन कन्या हायर सेकंडरी स्कूल तुलसीनगर, भोपाल रविवार को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से जुड़े मुद्दे और चुनौतियां विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद धर्मपाल शोध-पीठ की निदेशक प्रोफेसर कुसुमलता केडिया ने कहा कि जब तक शिक्षा के निर्धारक तत्वों में शासन और प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ नीतियां बनाने में शामिल रहेंगे तब तक शिक्षा व्यवस्था कॉपी-पेस्ट के पैटर्न पर चलती रहेगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए हमें हमारी स्वर्णिम अतीत की ओर झांकना होगा। इस मौके पर उन्होंने भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेई को अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ चिंतक, विचारक और लोकप्रिय नेता के रूप में याद किया।
इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेई की भतीजी रेखा शुक्ला ने भी अपने चाचा के साथ बिताएं बचपन के संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि उनके दादा अर्थात पूर्व प्रधानमंत्री के पिता स्वयं एक श्रेष्ठ शिक्षक थे। इसी कारण अटल में स्वाभिमान और राष्ट्रहित के विचार पनपे और वे संयुक्त राष्ट्र में प्रथम बार हिन्दी भाषा में देश के संदेश का वाचन कर सके।
कार्यक्रम में यह भी हुआ
विमर्श शृंंखला का विषय-प्रवर्तन मप्र शिक्षक संघ के अध्यापक प्रकोष्ठ के संयोजक एवं अटल बिहारी बाजपेई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोधरत विजेंद्र सिंह भदौरिया ने किया। उन्होंने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में अटलजी के विचारों को शामिल करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता पर व्याख्यान दिया और बताया कि शिक्षा का मौलिक अधिकार संविधान में संशोधन के माध्यम से उनके ही कार्यकाल में ही शामिल हुआ था। शैक्षिक विमर्श की प्रथम शृंंखला में उनकी कविता आओ फिर से दीप जलाएं को शृंंखला के ध्येय गीत के रूप में प्रस्तुत किया गया। समापन पर आयोजक संस्था समग्र शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ और शिक्षक संदर्भ समूह की ओर से कार्यक्रम में उपस्थित सभा जनों को आभार व्यक्त किया गया।