भोपाल। वर्षों पहले जिस तरह यूपी और हरियाणा राज्यों के कुछ इलाकों को शामिल करके दिल्ली एनसीआर डवलप किया गया था, ठीक उसी प्रकार आसपास के 5 जिलों के कुछ इलाकों को शामिल करके भोपाल केपिटल टेरिट्री डवलप की जाएगी। यह डवलपमेंट 2031 तक पूरा हो जाएगा। इस पर काम 2017 से शुरू होगा। इसमें चौड़ी सड़कें, अच्छी कालोनियां और सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी। 1999 में राजधानी प्रक्षेत्र की घोषणा की गई थी। अब इस पर काम शुरू होगा।
चौड़ी सड़कें, सुपर कॉरिडोर
भोपाल से विदिशा, बीना, होशंगाबाद, पचोर, रायसेन और जबलपुर तक 90 मीटर चौड़ी हाईस्पीड रोड बनेगी। इसके साथ ही भोपाल- इंदौर रोड को 120 मीटर चौड़े सुपर कॉरिडोर में बदला जाएगा। इस सुपर कॉरिडोर पर सीहोर के समीप तीन गांव नोनीखेड़ी, रायपुरा और थूनाकलां को शामिल कर स्मार्ट सिटी विकसित की जाएगी। भोपाल जिले में दस नए डेवलपमेंट एरिया बनाए जाएंगे।
रीजनल मास्टर प्लान-2031
यह और ऐसे कई प्रस्ताव भोपाल और आसपास के छह जिलों को मिला कर बन रहे रीजनल मास्टर प्लान-2031 का हिस्सा है। इन छह जिलों में भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, शाजापुर और आगर- मालवा को शामिल किया गया है। यह मास्टर प्लान इन सभी जिलों की भोपाल से कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा। इसके अलावा हर जिले में उसकी विशेषता के अनुसार औद्योगिक व अन्य विकास कार्य प्रस्तावित किए जाएंगे।
आरओबी भी प्रस्तावित
भोपाल से विदिशा, बीना, होशंगाबाद, पचोर, रायसेन और जबलपुर तक 90 मीटर चौड़े हाई स्पीड रोड प्रस्तावित किए गए हैं। भोपाल से बैरसिया, सागर समेत 15 मार्गों की चौड़ाई बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। औबेदुल्लागंज, मिसरोद, ब्यावरा, सारंगपुर, शुजालपुर और भोपाल-सीहोर के एसएच-18 पर रेलवे ओवर ब्रिज भी इस प्लान में प्रस्तावित है।
यहां एग्रो पार्क और लाॅजिस्टिक हब
इस प्लान में भोपाल- सीहोर और भोपाल- बैरसिया रोड पर एग्रो पार्क प्रस्तावित किए गए हैं। भोपाल- सीहोर रोड पर श्यामपुर के पास लॉजिस्टिक हब प्रस्तावित किया गया है।
इसी तरह भोपाल जिले के बांदीखेड़ी व कोलूखेड़ी, सीहोर और शाजापुर में कृषि आधारित औद्योगिक इकाई लगाने का सुझाव दिया गया है।
लैंड बैंक के तहत सीहोर, राजगढ़, रायसेन में भी उद्योगों के लिए जमीन देने का प्रस्ताव किया गया है।
यह होंगे डेवलपमेंट सेंटर
भोपाल जिले में भविष्य के दस नए डेवलपमेंट सेंटर प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें नजीराबाद, गुनगा, इस्लाम नगर, लांबाखेड़ा, फंदा, मुगालिया छाप, समरधा- कलियासोत, रतनपुर, आदमपुर छावनी और कान्हासैंया शामिल हैं।
लेना होगी निर्माण की अनुमति
इस प्लान के लागू होने पर भोपाल व अन्य शहरों में प्लानिंग एरिया के बाहर क्षेत्र में निर्माण की अनुमति के लिए एसडीओ (राजस्व) संबंधित टीएंडसीपी अफसर से अभिमत लेगा। ले आउट मंजूर होने पर ही अधिकारी भवन निर्माण की अनुमति जारी कर सकेगा।
बैरागढ़ के बाद सीहोर नया उपनगर
उपनगर के रूप में विकसित हुआ बैरागढ़ अब भोपाल में मिल चुका है। अब विकास भोपाल के निवेश क्षेत्र से बाहर ग्राम फंदा तक पहुंच गया है। इसे ध्यान में रखकर राजधानी से 40 किमी दूर सीहोर को उपनगर के तौर पर विकसित करने की प्लानिंग है। रीजनल प्लान में सीहोर जिले के तीन गांव नोनीखेड़ी, रायपुरा व थूनाकलां को शामिल कर स्मार्ट सिटी प्रस्तावित की है। सीहोर के प्रस्तावित मास्टर प्लान में भी एक और स्मार्ट सिटी प्रस्तावित है। भोपाल मास्टर प्लान 2031 में सीहोर से सटे क्षेत्र में इंडस्ट्रियल एवं कमर्शियल क्षेत्र भी रखा जाएगा।
1999 में घोषित हुआ था राजधानी प्रक्षेत्र
राज्य शासन ने 1999 में भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़ और शाजापुर जिलों को मिलाकर राजधानी प्रक्षेत्र की घोषणा की थी लेकिन तब से इसका कोई मास्टर प्लान नहीं बना। करीब एक साल पहले शाजापुर जिले की तहसील आगर-मालवा को अलग जिला घोषित किया गया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने मप्र काउंसिल ऑफ साइंस एंड टैक्नॉलाजी (मैपकास्ट) को इस रीजनल प्लान बनाने की जिम्मेदारी दी है।