इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने आदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक मामलों में जब्त 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को नोटबंदी के मद्देनजर 30 दिसंबर तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में सावधि जमा (एफडी) योजना के तहत जमा करा दिया जाये। न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा और न्यायमूर्ति राजीव कुमार दुबे की युगल पीठ ने सार्वजनिक क्षेत्र की युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी के पूर्व विकास अधिकारी इंद्रजीत सिंह (58) की एक अंतरिम अर्जी को मंजूर करते हुए 19 दिसंबर को इस आशय का आदेश जारी किया।
अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों से जुड़े दूसरे मामलों में भी बड़ी मात्रा में जब्त 500 और 1,000 रुपए के उन नोटों को राष्ट्रीयकृत बैंकों में सावधि जमा (एफडी) योजना के तहत 30 दिसंबर तक जमा करा दिया जाये, जिनकी पहचान को लेकर कोई विवाद नहीं है। युगल पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देशित किया कि वह सभी सम्बद्ध न्यायिक अधिकारियों को इस आदेश के बारे में सूचित करे।
सिंह ने अपनी अंतरिम अर्जी में उच्च न्यायालय से गुहार की थी कि सीबीआई के छापों में उनके घर से 11 नवंबर 2002 और 21 मार्च 2003 को बरामद 4,61,522 रुपए को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में एफडी के रूप में जमा करा दिया जाये, वरना इस नकदी में बड़ी तादाद में मौजूद 500 और 1,000 रुपए के नोट सरकार के नोटबंदी के कदम के कारण वैध मुद्रा नहीं रह जायेंगे।
सिंह को इंदौर की एक विशेष सीबीआई अदालत ने आय के ज्ञात स्त्रोतों से ज्यादा सम्पत्ति रखने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए 31 मई 2013 को सजा सुनायी थी। उन्होंने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की है, जो फिलहाल लम्बित है।