पुलिस FIR दर्ज नहीं करती तो क्या हाईकोर्ट में याचिका लगा सकते हैं

Bhopal Samachar
यदि किसी मामले में आप पीड़ित हैं। मामला फौजदारी है परंतु स्थानीय पुलिस ने आपकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो क्या आपको यह अधिकार है कि आप हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निवेदन करें, कि वो पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए आदेशित करे। मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में इस संदर्भ में फैसला आया है। डबरा निवासी गिरीश हुकवानी और मप्र की बिजली कंपनी के बीच हुए विवाद में हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को समाप्त कर दिया, जिसमें बिजली कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ ललिता कुमारी केस की रोशनी में जांच कर एफआईआर का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस एफआईआर नहीं करती है तो हाईकोर्ट में केस दर्ज कराने के लिए याचिका दायर नहीं कर सकते हैं। इसके लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद दायर कर सकते हैं।

बिजली कंपनी के सहायक यंत्री मिर्जा जावेद बेग, मोहम्मद आशिफ इकबाल, विनेश सिंह नियमित चेकिंग के लिए डबरा निवासी गिरीश हुकवानी के घर पर पहुंचे। हुकवानी ने कंपनी के अधिकारियों पर हमला कर दिया, जिसमें अधिकारी घायल हो गए और डबरा थाने में केस दर्ज कराया। काउंटर एफआईआर के लिए हुकवानी ने भी थाने में आवेदन दिया। कई गंभीर आरोप लगाए, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। 

इसके बाद हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की। एकल पीठ ने आदेश दिया कि ललिता कुमारी केस की रौशनी में आवेदन का निराकरण किया जाए। इस आदेश को कंपनी अधिकारियों ने युगल पीठ में रिट अपील दायर कर चुनौती दी। बिजली कंपनी के अधिवक्ता विवेक जैन बताया कि अधिकारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए गए थे। उनके ऊपर हमला हो गया था, जिसकी शिकायत डबरा थाने में दर्ज कराई। वहीं, हुकवानी झूठा केस दर्ज कराना चाहते हैं। युगल पीठ ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया।

क्या है ललिता कुमारी केस
सुप्रीम कोर्ट में ललिता कुमारी का केस चला था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि अगर पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलती है तो उसकी प्राथमिकी दर्ज की जाए। पुलिस मामले की अनदेखी नहीं कर सकती है। थाने में केस दर्ज कराने के लिए अधिकतर याचिकाएं ललिता कुमारी केस को लाइट में रखकर लगाई जा रही थीं। युगल पीठ के आदेश से ललिता कुमारी केस की लाइट में होने वाले फैसलों पर ब्रेक लगेगा। अगर किसी व्यक्ति के साथ घटना होती है और पुलिस को सूचना मिल जाती है। केस दर्ज नहीं किया जाता है तो उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां परिवाद दायर करना होगा। हाईकोर्ट में सीधे याचिका दायर नहीं कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!