रायपुर। आईजी पुलिस पवन देव महिला कॉन्सटेबल के यौन उत्पीड़न मामले में पूरी तरह से फंस गए हैं। उन्होंने बड़ी ही चतुराई से एक ऐसी सिमकार्ड का उपयोग किया जो उनके नाम से रजिस्टर्ड नहीं है परंतु फोन की लोकेशन और दूसरे फोनकॉल्स की डीटेल्स मेच हो गईं हैं। इसी के साथ आईजीपी फर्जी सिमकार्ड यूज करने के मामले में आरोपी बनाए जा सकते हैं। 4 सदस्यीय दल के पास पर्याप्त सबूत जमा हो गए हैं। जांचदल ने अपनी रिपोर्ट में पवन देव को दोषी करार दिया है।
पीड़ित कॉन्सटेबल महिला ने इस साल जून में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने उन फोन कॉल्स की तीन कॉपियां दिखाईं जिसमें आईजीपी द्वारा उसे फोन कॉल्स करने की बात कही गई थी। इसके अलावा पवन देव ने उसे अपने बंगले या अॉफिस में भी आने को कहा था। इसके अलावा वरिष्ठ आईपीएस ने उसकी पर्सनेलिटी और फिगर को लेकर भी टिप्पणी की थी। वहीं पवन देव ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।
जांच कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक पवन देव ने यह कहते हुए खुद का बचाव किया कि उन्होंने महिला कॉन्सटेबल को जो कॉल्स की थीं, वह रूटीन वर्क था। साथ ही महिला ने ही जबरदस्ती उनसे बात करने की कोशिश की थी। इस जांच कमिटी में आईपीएस रेनू पिल्लै, बीपीएस पोशर्या, सोनल मिश्रा के अलावा एनजीओ संकल्प की मनीषा शर्मा शामिल हैं। इस जांच कमिटी का गठन छत्तीसगढ़ के डीजीपी ने मामले की जांच करने के लिए किया है। कमिटी ने 2 दिसंबर को 52 पन्ने की रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट में मिले शुरुआती सबूतों के मुताबिक महिला कॉन्सटेबल की पंजाब में लगाई गई ड्यूटी को रद्द करके उसे रात में मिलने की बात है। इसके अलावा 18 जून को रात 2:30 से 3:30 के बीच महिला को फोन किए गए। इस रिपोर्ट का ज्यादातर हिस्सा एक फोन कॉल्स के इर्द-गिर्द घूमता है, जिससे 18 अप्रैल को महिला को सुबह के समय तीन और बाकी 21 फोन कॉल्स किए गए। अपनी सफाई में पवन देव ने कहा कि यह नंबर न तो उनके नाम से रजिस्टर्ड है और न ही उन्होंने यह नंबर कभी इस्तेमाल किया है। इसके अलावा वह सिम के यूजर अशोक चतुर्वेदी को भी नहीं जानते हैं। लेकिन कमिटी ने कहा कि देव ने वह नंबर इस्तेमाल किया है क्योंकि उसमें कॉमन कॉन्टैक्ट्स हैं।
यह है शिकायत जिस पर जांच शुरू हुई