भोपाल। नोटबंदी के कारण अकेले मध्यप्रदेश में ही 28% कर्मचारी/मजदूर बेरोजगार हो गए। औसतन हर तीसरे आदमी का रोजगार छिन गया है। यह दावा नईदुनिया ने किया है। इसके लिए 32 जिलों की 110 से ज्यादा कंपनियों में सर्वे किया गया। इसमें मिलीं जानकारियां चौंकाने वालीं हैं। छोटे उद्योगों में तो 65% कर्मचारी/मजदूरों को नोटबंदी का असर खत्म होने तक के लिए निकाल दिया गया।
कई जगह तो मिलें बंदकर कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई। मझौली कंपनियों ने 25 फीसदी कर्मचारियों को घर बैठा दिया है। बड़ी कंपनियों में अधिकतर स्थायी कर्मचारी काम करते हैं, इसके बावजूद इनमें 20 फीसदी की रोजी-रोटी चली गई।
धंधा ही ठप हो गया है
अग्रसेन मेटल के मालिक अशोक अग्रवाल ने बताया कि नोटबंदी के बाद पूरा कारोबार ठप पड़ा है। इसलिए मजदूरों को 15 दिन की छुटटी पर भेज दिया है। मुरैना के बीआर ऑयल के संचालक जुगल अग्रवाल के अनुसार ग्राहक कम हो गए, लोग माल कम उठा रहे हैं। इसलिए 125 में से 30 कर्मियों को हटा दिया गया है।
हफ्ते में 2-3 दिन ही रोजगार
कंपनियों से निकाले गए लोग मजदूर वर्ग से संबंध रखते हैं। जिन्हें काम मिल रहा है, उन्हें पूरे 6 दिन की मजदूरी नहीं मिल रही है, बल्कि सप्ताह में 2 या 3 दिन ही काम मिल रहा है। ओवरटाइम तो बिल्कुल बंद ही हो चुका है। कई उद्योग स्थायी कर्मचारियों को फिलहाल रखे हुए हैं, अगर कारोबार की हालत बिगड़ी तो इनकी नौकरियों पर भी गाज गिर सकती है। दमोह के गुजरात नमकीन भंडार के मालिक सेवंत गुजराती के अनुसार मार्केट डाउन होने से आधे मजदूर निकाल दिए हैं।
ऐसे किया गया सर्वे
सर्वे में 3 तरह की कंपनियों को शामिल किया गया।
छोटी कंपनी जिनमें 1 से 24 कर्मचारी हों,
मझौली कंपनी जिनमें 25 से 49 कर्मचारी हों
बड़ी कंपनी जिनमें 50 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हों।
कुल 32 जिलों में 110 से ज्यादा कंपनियों के मालिकों, एचआर विभाग के लोगों और कारोबारियों से नोटबंदी के बाद की स्थिति को लेकर बातचीत की गई। इसके आधार पर पता चला कि इनमें काम करने वाले 15 हजार 251 कर्मचारी/मजदूरों में से 4,260 कर्मचारी/मजदूरों को (27.93 फीसदी) निकाल दिया गया है।