नईदिल्ली। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है नोटबंदी के समर्थन में मोदी का गुणगान करने वालों की संख्या कम और नोटबंदी को गलत फैसला मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जो कुछ हो रहा है उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। इसके फायदे क्या होंगे, ये किसी को नहीं मालूम। नोटबंदी के बाद कैशलेस इंडिया की मुहिम ने नोटबंदी के मूल उद्देश्य को ही सस्पेक्टेड कर दिया है। NDA के घटक दल तेलगुदेशम के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री CHANDRABABU NAIDU ने भी पहले नोटबंदी का दमदार समर्थन किया था। अब वो कहते हैं कि ये वो नहीं है जैसा उन्होंने सोचा था। उन्होंने आगे कहा कि 40 से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद भी कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा है।
AP के CM ने कहा कि लोगों को अपनी बुनियादी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए नई करेंसी नहीं मिल रही है और बैंक, ATM में रोज कैश की किल्लत देखी जा रही है। नोटबंदी की वजह से हो रही परेशानियों को कम करने के बारे में मैं रोजाना दो घंटे का वक्त देता हूं। मैं रोज अपना सिर फोड़ता हूं, लेकिन हम इस समस्या का समाधान ढूंढने में असफल हैं।
चंद्रबाबू नायडू नोटबंदी पर गौर करने के लिए बनी 13-सदस्यीय केंद्रीय समिति के प्रमुख भी हैं और उनकी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) केंद्र की सत्ता पर काबिज एनडीए की सहयोगी है। विजयवाड़ा में पार्टी के सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की वर्कशॉप में नायडू ने कहा कि हमने नोटबंदी की कामना नहीं की थी लेकिन फिर भी ऐसा हुआ। 40 से ज्यादा दिन बीत जाने पर ढेरों समस्याएं खड़ी हैं और कोई समाधान नहीं नजर आ रहा है।
चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'जिन लोगों को नोटबंदी के संकट को मैनेज करने के लिए लगाया गया है, वे कुछ भी करने के काबिल नहीं है। आरबीआई भी इस मामले में कुछ नहीं कर पा रही है। यह अभी भी बेहद संवेदनशील और जटिल समस्या है। चंद्रबाबू 500 और 1000 रुपये के नोटबंद करने के प्रबल समर्थक थे। वास्तविकता यह है कि अपनी मांग दोहराते हुये उन्होंने 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की घोषणा करने के कुछ घंटों के बाद नौ नवंबर को तेलगू देशम पार्टी ने जोर देकर श्रेय लेते हुये दावा किया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में यह ‘चंद्रबाबू की जीत’ है। फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट में पार्टी ने कहा था, ‘यह टीडीपी की नैतिक जीत है।