नईदिल्ली। किसी भी सरकार के लिए सबसे खतरनाक होता है जब बाजार में उसकी मुद्रा के बजाए वैकल्पिक मुद्रा चलने लगे। भारत में इसे गैरकानूनी भी माना गया है परंतु नोटबंदी से परेशान सरकारी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने ही वैकल्पिक मुद्रा लांच कर दी है। एनएचएआई ने 5 से 50 रुपए तक की प्राइवेट करेंसी लांच की है। सवाल यह है कि यदि बाजार में व्यापारी संगठनों ने भी ऐसा ही कर दिया तो...?
नोट बैन के बाद देशभर के टोल बैरियरों पर टैक्स वसूली की दिक्कत खड़ी हो गई है। पर्याप्त छोटे नोटों की व्यवस्था नहीं होने के कारण शुरुआत में कई दिनों तक टोल वसूली का काम रुका रहा। अब बैरियरों पर पेटीएम तथा स्वैप मशीनों का संचालन शुरू हुआ है। बावजूद इसके बड़े नोट मिलने पर वापस दिए जाने वाले फुटकर रुपयों की किल्लत बरकरार है। इससे टोल पर अक्सर वाद विवाद और जाम की स्थितियां आ रहीं।
समस्या से निपटने के लिए एनएचएआई ने वाहन चालकों को छोटे रुपयों की जगह उसी धनराशि के कूपन लौटाने की योजना बनाई है। खास तरह के होलोग्राम और बार कोड वाले कूपन पांच, दस, 50 और सौ रुपए कीमत के हैं। इन्हें देश भर के टोल प्लाजा पर नकद रुपयों की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। योजना पर काम करते हुए एनएचएआई ने टोल बैरियरों को उनकी जरूरत के अनुसार कूपनों की उपलब्धता करा दी है।
एक लाख रुपए के कूपन बारा टोल प्लाजा पर भी मंगाए गए हैं। एजीएम मनोज शर्मा ने बताया कि फिलवक्त इनके उपयोग की आखिरी तारीख 31 दिसंबर निर्धारित की गई है। इस दौरान यदि इनका उपयोग नहीं हो पाता है तो कूपन धारक टोल पर आकर इन्हें लौटा सकते हैं। कूपन की कीमत के अनुसार नकद धनराशि वापस कर दी जाएगी।