नई दिल्ली। कैशलैस इंडिया बनाने की मुहिम में सरकार ने प्राइवेट कंपनी पेटीएम को खूब अवसर दिया। दुकानदारों ने भी ग्राहकों से पेमेंट लेने के लिए पेटीएम का खुलकर यूज किया लेकिन अब यही पेटीएम दुकानदारों के लिए सिरदर्द बन गया है। वो ग्राहकों से पेमेंट ले तो पा रहे हैं परंतु थोक के दुकानदार उनसे पेमेंट नहीं ले रहे हैं। थोक के बाजार में पेटीएम को मान्यता नहीं दी गई है। अब दुकानदार भी ग्राहकों से नगदी की मांग करने लगे हैं।
दिल्ली के कनॉट प्लेस में विजय शुक्ला नाम के शख्स की पान की दुकान है। विजय की तीन पीढियां इसी धंधे से जुड़ी रही हैं। नोटबंदी के बाद जब विजय को नकदी की दिक्कतें आने लगीं तो इन्होंने पेटीएम अपना लिया। विजय ने सोचा था कि पेटीएम से भुगतान लेने से उनकी समस्या दूर हो जाएगी लेकिन अब वो ज्यादा परेशान है। कभी इंटरनेट धीमे चल रहा है तो कभी सर्वर डाउन होने के चलते इन्हें भुगतान लेने में दिक्कतें आ रही हैं।
विजय शुक्ला का कहना है कि जब पेटीएम से पेमेंट करते हैं। उस समय या तो पेटीएम बहुत स्लो चलता है या फिर पेमेंट कई बार आ जाती है। इतना ही नहीं शुक्ला जी का ये भी कहना है कि वो तो पेटीएम से पैसा ले रहे हैं लेकिन उनसे कोई नहीं ले रहा। विजय की सबसे बड़ी दिक्कत है कि जब वो पेटीएम से भुगतान कर अपनी दुकान के लिए सामान लेने जाते हैं तो वहां सप्लायर पेटीएम से पेमेंट लेने से मना कर देता है और नकदी की मांग करता है।
ये दिक्कत सिर्फ विजय शुक्ला या किसी एक छोटे दुकानदार की नहीं है। करीब-करीब पेटीएम करने वाला हर छोटा दुकानदार खुद तो भुगतान ले लेता है लेकिन जब वो अपने डिस्ट्रीब्युटर या सप्लायर को पेटीएम से पेमेंट देना चाहता है तो वो डिजिटल पेमेंट लेने से मना कर देते हैं। ऐसे में पैसा होने के बावजूद भी दुकानदार खुद को ठगा महूसस कर रहा है।