
मेरठ यूपी के माधवगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली शीतल यादव ने 2015 में शारदा रोड स्थित एसबीआई बैंक में जनधन खाता खुलवाया था। महिला परतापुर में 5 हजार रुपए महीने की तनख्वाह पर टॉफी फैक्ट्री में पैकेजिंग का काम करती है। शीतल का पति जिलेदार सिंह एक ट्रांसफार्मर बनाने वाली कंपनी में काम करता है। जिलेदार ने बताया कि 18 दिसंबर को एटीएम से निकली बैलेंस स्लिप देखकर हैरान रह गए। इसके मुताबिक, शीतल के खाते में 99 करोड़ 99 लाख 99 हजार 394 रुपए बैलेंस दिख रहा था। उन्हें यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने दूसरे एटीएम पर स्लिप निकाली, वहां भी उन्हें यही बैलेंस दिखा।
बैंक में नहीं सुनी गई शिकायत
महिला शीतल और उसके पति जिलेदार सिंह ने बताया कि उन्होंने बैंक जाकर इसकी शिकायत की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। कहा बैंक मैनेजर आएंगे तभी कुछ होगा। दो दिन बाद वो फिर बैंक गए, लेकिन तब भी उनकी शिकायत पर गौर नहीं किया गया। जिलेदार ने बताया कि इसके बाद उन्होंने पीएमओ में मेल किया। जिलेदार ने बताया कि उन्होंने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और एसबीआई के सीनियर ऑफिशियल्स को भी मेल भेजा है।
परेशान है परिवार
महिला शीतल का कहना है कि उसके खाते में सिर्फ 600 रुपए थे, लेकिन अचानक इतने सारे पैसे आ जाने से पूरा परिवार परेशान है। बैंक वाले भी बताने को तैयार नहीं है कि खाते में इतने पैसे आए कहां से। बता दें कि जनधन खाते में कैश जमा करने की मैक्सिमम लिमिट 50 हजार रुपए है।
संदेह के दायरे में बैंक
इस पूरे घटनाक्रम में बैंक संदेह के दायरे में आ गया है। जिस तरह से महिला की गंभीर शिकायत को टाला गया, मिलीभगत का शक मजबूत होता है। सवाल यह है कि अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई।