नोटबंदी की बहस के बीच एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विदेशों में बसे भारतीय वर्षों से विदेशी मुद्रा कमाकर भारत में इंवेस्ट करते आए हैं परंतु 2016 के मात्र 2 महीने अक्टूबर-नवंबर में उन्होंने तेजी से यूटर्न लिया है। भारत में इंवेस्ट की गई अपनी पूंजी वापस खींच ली है। यह आंकड़ा छोटा मोटा नहीं बल्कि 12 लाख करोड़ रुपए है। मात्र नवम्बर माह में नोटबंदी लागू होने के बाद 11.43 अरब डॉलर का कुल डिपॉजिट भुना लिया गया। इस खुलासे ने मोदी सरकार के उस दावे को खोखला साबित कर दिया जिसमें कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर विदेशों में मौजूद भारतीय नागरिक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बेहद मददगार साबित हो रहे हैं।
क्या है मामला
एक अंग्रेजी बिजनेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकरों ने आंकड़ा जारी किया है कि अक्टूबर-नवंबर में एनआरआई ने फॉरेन करंसी नॉन-रेजिडेंट बैंक यानी (एफसीएनआर-बी) को भुनाया है जो कि एक बड़ा अमाउंट है। 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले बाद NRI का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा कम हुआ है और उन्होंने सिर्फ इसी एक महीने में 11.43 अरब डॉलर का कुल डिपॉजिट भुना लिया। ये अब तक की किसी एक महीने में NRI कि तरफ से निकाली गई सबसे बड़ी रकम है।
क्या कहते हैं जानकर
केयर रेटिंग्स के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने अंग्रेजी अखबार को बताया- एफसीएनआर-बी डिपॉजिट वाला पैसा तो बाहर जाना ही था। इसे दो-तीन महीनों के दौरान भुनाया गया। अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते भी काफी डॉलर देश से गए। ऐक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य के मुताभिक पिछले साल सितंबर से नवंबर के बीच एफसीएनआर डिपॉजिट का 19 अरब डॉलर देश से बाहर गया। इसकी उम्मीद पहले से थी। रिजर्व बैंक ने इस मद में 20 अरब डॉलर के देश से बाहर जाने का अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा- हमें लग रहा है कि डॉलर और मजबूत होगा। इससे रुपये की वैल्यू में धीरे-धीरे कमी आएगी।
सरल शब्दों मेें कहें तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहा है। रुपए की तुलना में डॉलर महंगा हो जाएगा। अभी यह 67 रुपए के आसपास है। यदि डॉलर महंगा हो गया तो हर स्तर पर महंगाई बढ़ेगी। यदि आपका घर खर्च 10000 रुपए प्रतिमाह में चलता है तो वह बढ़कर 12 या 15 हजार रुपए हो जाएगा।