NEW DELHI | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में नवंबर 2015 में कम से कम 16 महिलाओं से पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर बलात्कार किया और उनका यौन शोषण किया। आयोग 20 और महिलाओं के बयान रिकॉर्ड करने वाला है जिनके साथ सुरक्षाबलों ने जबरदस्ती की है। NHRC ने स्पॉट इन्वेस्टिगेशन और न्यूज रिपोर्ट्स के जरिए पुलिसकर्मियों की ओर से की गई ज्यादती की जानकारी मिलने पर जांच शुरू की थी।
आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बीजापुर के पेगदापल्ली, चिन्नागेलुर, पेद्दागेलुर, गुंडम और बर्गीचेरू गांवों में महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया। पुलिसकर्मियों ने महिलाओं को शारीरिक नुकसान भी पहुंचाया। आयोग ने अपनी जांच के दौरन पाया कि सभी पीड़ित महिलाएं आदिवासी थीं। पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट का पालन नहीं किया। पुलिस ने आदिवासी परिवारों को मूलभूत सुविधाओं से भी दूर रखने की कोशिश की।
रमन सिंह सरकार को नोटिस
आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार को एक नोटिस जारी करके जवाब मांगा है कि आखिर सरकार की ओर से पीड़ितों के लिए 37 लाख रुपये का अंतरिम बजट क्यों नहीं पास किया जाना चाहिए? आयोग ने कहा कि उसे 34 महिलाओं की ओर से शारीरिक शोषण जैसे रेप, यौन उत्पीड़न, शारीरिक उत्पीड़न की शिकायतें मिलीं। हर मामले में आरोप सुरक्षाकर्मियों पर लगाए गए। इसके बाद NHRC की टीम ने पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की।
आयोग ने पुलिस को दिए सख्त निर्देश
मानवाधिकार आयोग ने पीड़ितों से बातचीत के बाद डीआईजी (इन्वेस्टिगेशन) को निर्देश कि वह जांच और कानून दोनों डिविजन के चुनिंदा अधिकारियों की एक टीम तैयार करे जो 15 पीड़ित महिलाओं के बयान रिकॉर्ड करे, जो कि पहले नहीं किया गया। आयोग ने एक महीने के अंदर इसकी रिपोर्ट भी मांगी है। NHRC ने एडीजी (CID) को भी निर्देश दिए कि 19 अन्य पीड़ितों के बयान दर्ज करके आयोग को रिपोर्ट भेजें। इसके साथ ही आयोग ने उन्हें एससी-एसटी एक्ट के उल्लंघन के सभी मामलों की रिपोर्ट पेश करने के लिए भी कहा है। जबकि चीफ सेक्रेटरी ने इस संबंध में सख्त निर्देश लागू कर चुके हैं। इन मामलों की जांच के दौरान आयोग को 11 जनवरी से 14 जनवरी 2016 के बीच बीजापुर, कुन्ना, सुकमा और दंतेवाड़ा से भी सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतें मिलीं।