नईदिल्ली। सरकार ने संतोषजनक काम नहीं करने वाले अफसरशाहों को समय से पहले सेवानिवृत करने का सिलसिला जारी रखा है। मंगलवार को केंद्र सरकार के ऐसे ताजा फैसले की गाज दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर गिरी है। यह अधिकारी हैं 1992 बैच के राजकुमार देवांगन (छत्तीसगढ कैडर) और 1998 बैच के मयंकशील चौहान (एजीएमयू कैडर)। बता दें कि आईपीएस देवांगन पर पुलिसकर्मियों को भेजकर 65 लाख की डकैती डलवाने का आरोप है। वहीं चौहान के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और बिना जानकारी के सेवा से गायब हो जाने का आरोप है।
सरकारी फैसले के मुताबिक इन्हें पेंशन पूरी मिलेगी। इस फैसले के एवज में इन्हें तीन महीने की पूरी तनख्वाह भी दी जा रही है। गृहमंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सभी कैडर और केंद्रीय सेवा के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के कामकाज पर पैनी निगाह रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में कुछ और अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
200 से ज्यादा अफसरों के खिलाफ कार्रवाई
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के डेढ़ साल के भीतर ठीक काम नहीं करने वाले 13 अफसरशाहों को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी। साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत 45 अधिकारियों के पेंशन में कटौती का आदेश जारी किया गया। इसकी जानकारी दिसंबर 2015 को खुद कार्मिक राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा में दी थी।
इसके बाद मई 2016 में सरकार ने 72 राजस्व अधिकारियों की सीधी बर्खास्तगी का फरमान जारी किया। साथ ही 33 राजस्व अधिकारियों को समय से पहले रिटायर कर दिया गया। पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने इस कदम को विभाग की सफाई करार दिया था। इतना ही नहीं इसकेबाद 33 आयकर अधिकारियों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।