UP ELECTION NEWS / नईदिल्ली। यूपी में मोदी के नाम पर वोट तो मांगे जाएंगे परंतु पर्दे के पीछे और मंच के नीचे जातिवाद का गणित खेला जाएगा। भाजपा थोड़ा थोड़ा जुटाकर बड़ा करने की योजना पर काम कर रही है। राजनाथ सिंह (राजपूत), कलराज मिश्र (ब्राह्मण), केशव प्रसाद मौर्य (गैर यादव) और उमा भारती (लोध) को आगे कर भाजपा 50 प्रतिशत वोट बैंक हासिल करना चाहती है। वो पूरे चुनाव को क्षेत्रीय मुद्दों में बांट देना चाहती है ताकि एक इलाके से दूसरा इलाका प्रभावित ना हो और सोशल मीडिया के हमलों से बचा जा सके।
इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैराणा पलायन और मुज्जफरनगर दंगों का मुद्दा, पूर्वांचल में नरेंद्र मोदी की विकास की छवि, सूबे की खराब कानून-व्यवस्था शामिल है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश को छह क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर, अवध, गोरखपुर और काशी में बांटा है। प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक अध्यक्ष, साथ ही बाहर से एक प्रभारी बनाया है। आरएसएस के व्यक्ति को क्षेत्रीय महामंत्री संगठन बनाया गया है। पश्चिमी यूपी, गोरखपुर और काशी क्षेत्रों की सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन तीनों क्षेत्रों में 403 में से 204 सीटें हैं।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली सफलता की 60 प्रतिशत यानि की लगभग 337 सीटों का लक्ष्य बनाया गया है। इसके लिए 10 प्रतिशत ब्राह्मणों, 33 प्रतिशत गैर यादव ओबीसी और 7 प्रतिशत गैर जाटव वोटों को पाले में लाने का प्रयास है। इन समुदायों के बड़े चेहरों को आगे किया जा रहा है। विपक्षी पार्टियों से भी बड़े नेताओं को शामिल किया जा रहा है।
अवध और ब्रज जैसे क्षेत्रों में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। यहां पर कुल मिलाकर 147 सीटें हैं और अखिलेश यादव के विकास के काम दिखाई पड़ते हैं। हालांकि सपा में कलह और मुस्लिम मतों में बिखराव से फायदा लेने की कोशिश है। साल 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा अवध क्षेत्र से केवल 6 सीटें जीत पाई थी।