प्रमोशन में आरक्षण केस लड़ने के लिए हमें भी 4 करोड़ रुपए दो

Bhopal Samachar
प्रति,
माननीय मुख्य मंत्री जी,
मध्यप्रदेश शासन,
मंत्रालय भोपाल

विषयः- मुकदमा लड़ने हेतु आर्थिक मदद।

महोदय, 
मध्यप्रदेश पदोन्नति नियम 2002 दिनांक 30.4.2016 को मान्नीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा असंवैधानिक पाये जाने पर अपास्त (छवद.मेजद्ध घोषित कर दिये गये थे। म.प्र. शासन द्वारा उक्त निर्णय का पालन न करते हुये एक वर्ग विशेष के प्रति अनुराग दर्शाते हुये निर्णय के विरूद्ध मान्नीय उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की गई थी एवं मान्नीय उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश से प्रदेश में विगत एक वर्ष से पदोन्नतियॉं रूकी हुई है। जिसका विपरीत प्रभाव प्रशासकीय दक्षताओं पर निश्चित रूप से पड़ रहा है।

विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार म.प्र. शासन द्वारा उक्त प्रकरण में अपना बचाव करने तथा अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिये रूपये 4.00 करोड़ की बड़ी धन राशि मान्नीय सर्वोच्च न्यायालय में शासन के पक्ष में पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं को देने के लिये स्वीकृत की है। यह तथ्य भी समाचार पत्रों के माध्यम से स्पष्ट हुआ है कि शासन यद्यपि स्वयं भी इन नियमों को असंवैधानिक मानता है पर यह चाहता है कि पदोन्नति का लाभ प्राप्त कर चुके आरक्षित वर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों की पदावनत न किया जावेे। मूलतः शासन को अपने अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रति समभाव रखते हुये किसी भी प्रकार की भेदभाव की नीति से स्वयं को दूर रखना चाहिये, किन्तु शासन द्वारा वर्तमान में की जा रही इस भेदभाव पूर्ण कार्यवाही से प्रदेश में अनावश्यक रूप से वर्ग संषर्ष की स्थितियॉं उत्पन्न हो रही है जो अत्यन्त दुःखद है।

यह अत्यन्त अपत्तिजनक है कि जिन नियमों को मान्नीय उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक पाया गया है उन नियमों को सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से उचित ठहराया जाने के प्रयास किये जा रहे है। यह अत्यन्त गम्भीर है एवं प्रदेेश के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकारियों/ कर्मचारियों से स्पष्ट अन्याय है, जबकि शासन को यह ज्ञात है कि इस प्रकरण का अंतिम परिणाम क्या होगा।

यह आश्चर्यजनक है कि उक्त प्रकरण के शीघ्र निराकरण में शासन द्वारा अपेक्षित रूचि नहीं ली जा रही है, जबकि लाखों अधिकारियों/कर्मचारियों के भविष्य तथा प्रशासनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिये शीघ्र-अतिशीध्र प्रकरण का निराकरण कराये जाने के प्रयास किये जाने चाहिये थे।

प्रशासनिक तंत्र एवं कार्यपालिका में कार्यरत सभी शासकीय सेवकों के प्रति सरकार की समान्य द्रष्टि होनी चाहिये। अतः संस्था यह अपील करती है कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न हो इस हेतु शासन द्वारा प्रभावित दोनों पक्षों से न्याय करते हुये दोनों पक्षों को एक सी मद्द दी जावे। साथ ही प्रकरण के निराकरण हेतु शासन द्वारा अनावश्यक व्यवधान खड़े करने की वजाय इसके निराकरण की पहल की जानी चाहिये, ताकि प्रदेश भर में शासकीय तंत्र में फैले असंतोष का शिकार जन सामान्य न हो।

अध्यक्ष
सपाक्स समाज

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