बृजेन्द्र मिश्रा/भोपाल। पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने प्रदेश में अब तक की कीमत वृद्धि के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में अब तक के इतिहास में सबसे मंहगा पेट्रोल और डीजल बिक रहा है। राज्य और केंद्र सरकार इन दोनों ही उत्पादों पर 55 फीसदी टैक्स वसूल रही हैं। राज्य सरकार पेट्रोल पर 32 प्रतिशत टैक्स व तीन रुपए अतिरिक्त टैक्स ले रही है। इसके अलावा 23 प्रतिशत टैक्स केंद्र सरकार ले रही है।
पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा एक जनवरी को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि के साथ र्इंधन मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे महंगे हो गए हैं। इस वृद्धि के बाद भोपाल में पेट्रोल 78.08 रुपए प्रति लीटर और डीजल 65.43 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। कल तक भोपाल में पेट्रोल 76.11 रुपए लीटर बिक रहा था। इससे पहले सर्वाधिक कीमतें 1 सितंबर 2014 को डीजल 65.35 रुपए और 2 फरवरी 2013 को पेट्रोल 75.26 रुपए हुई थीं।
कांग्रेस सरकार में भी नहीं था इतना महंगा
केंद्र की दस साल की मनमोहन सिंह सरकार और अटलजी की सरकार के समय में भी पेट्रोल इतना महंगा नहीं था, जितना मोदी सरकार के कार्यकाल में हो गया है।
पहले कभी नहीं हुआ
पिछले तेरह सालों बल्कि ये कहें कि अब तक के इतिहास में पेट्रोल की कीमतें इतनी अधिक कभी नहीं रही हैं। इसके पहले पेट्रोल सर्वाधिक महंगा 76 रुपए प्रति लीटर बिका था। अब इसकी कीमत 78 रुपए को पार कर गई है। लोगों के हित में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। अजय सिंह, अध्यक्ष, मप्र पेट्रोलियम एसोसिएशन
‘सिर्फ अपना फायदा देख रही सरकार’
राज्य सरकार ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल के दामों में आई गिरावट के चलते अपना फायदा बढ़ाने के लिए पेट्रोल व डीजल पर तय 31 प्रतिशत और 27 प्रतिशत वैट को रुपयों में बढ़ाने का फैसला लिया था। अभी पेट्रोल पर 31 प्रतिशत के साथ तीन रुपए अतिरिक्त टैक्स वसूला जा रहा है। यही स्थिति डीजल के मामले में भी है। इन दोनों प्रोडक्ट पर एंट्री टैक्स भी एक-एक प्रतिशत लगता है। यह फैसला लेते समय राज्य शासन ने कहा था कि जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि होगी तो सरकार अपना वैट टैक्स घटा देगी। अब जबकि पेट्रोल के दाम चरम पर हैं तो भी सरकार अपना फायदा देख रही है और वैट टैक्स घटाया नहीं जा रहा है।