अब एक शहर 6 साल से ज्यादा टिक नहीं पाएंगे कर्मचारी/अधिकारी

Bhopal Samachar
भोपाल। राजधानी सहित बड़े शहरों में वर्षों से जमे बैठे मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के अफसर-कर्मचारियों की अब एक संभाग में 6 साल ही तैनाती हो पाएगी। रोस्टर के आधार पर पदस्थापना की अनुशंसा की गई है। अदालत से यदि सजा मिली तो स्वयं के व्यय पर तबादले की पात्रता खत्म हो जाएगी।

नागरिक आपूर्ति निगम में पिछले 10 साल तबादला नीति पर अमल नहीं हो पा रहा। इस साल निगम के अध्यक्ष डॉ हितेष वाजपेयी ने शासन की तबादला नीति पर सख्ती से क्रियान्वयन के निर्देश देते हुए बोर्ड की बैठक भी बुलाई है। साथ ही निगम ने नीति में उपर्युक्त सुझावों के प्रस्ताव पर सरकार से हरी झंडी भी मांगी गई है।

निगम के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2006 के बाद तबादला नीति का पालन ही नहीं हुआ। हर साल तबादला की थोकबंद सूची जारी होती है उसमें से ज्यादातर निरस्त हो जाते हैं। इसलिए इस साल शासन की नीति पर अमल के साथ बोर्ड में तीन सूत्री सुझाव पर भी मोहर लगाई जाएगी। इस संबंध में निगम अध्यक्ष हितेष वाजपेयी ने बताया कि बोर्ड की बैठक में तबादला नीति पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दागियों को रोका जाएगा।

ये हैं तीन सुझाव
बोर्ड में रखे जाने वाले तीन सुझावों पर कर्मचारी संगठन की सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। इनमें निलंबित व्यक्ति को निलंबन कार्य के दौरान उस संभाग में नहीं रखा जाएगा। दूसरा सुझाव है कि कोई भी अदालत अथवा शासन किसी अफसर-कर्मचारी को सजा देता है तो उसके बाद उसे पूरे सर्विस काल के दौरान स्वयं के व्यय पर तबादले का अधिकार नहीं होगा। केवल प्रशासनिक व्यय पर ही उसका तबादला होगा। तीसरा सुझाव यह दिया गया है कि रोस्टर के आधार पर निगम के संभाग में कोई भी कर्मचारी सर्विस के दौरान दो कार्यकाल अर्थात कुल छह साल ही रह सकेगा। उसके बाद उसका संभाग बदल दिया जाएगा।

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