भोपाल। डॉक्टर जो पढ़ा लिखा होता है, जो अंधविश्वास में यकीन नहीं रखता। जो मरीजों को तांत्रिक और ओझाओं से दूर रहने की सलाह देता है। असल में कितना अंधविश्वासी और डरपोक होता है। ताजा मामला इसका मजबूत उदाहरण है। हमीदिया अस्पताल में दवाओं का एक ऐसा कमरा भी शनिवार को खुला, जहां एक्सपायरी दवाएं रखे-रखे बह गईं। अब वे गिनती के लायक भी नहीं हैं। डर के चलते करीब छह साल से कोई कर्मचारी इस कक्ष में गया ही नहीं। अंधविश्वास है कि इस कमरे में कोई शक्ति है। यहां जाने वाले के साथ किसी तरह की अनहोनी हो सकती है।
हमीदिया के स्टोर में करीब 4 दिन से उन दवाओं की गिनती की जा रही रही थी जो 8 साल से स्टोर में अलग रखी गई थीं। इन दवाओं की कीमत करीब 10 लाख रुपए है। हर साल आडिट में इन दवाओं को लेकर आपत्ति आ रही थी, लेकिन अस्पताल अधीक्षक इस डर से बचते रहे कि दवाएं नष्ट करने से उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो जाए। इसी डर से 40 साल पुरानी दवाएं स्टोर में रखी रह गईं। इनमें 8 साल पुरानी दवाएं नए स्टोर में रखी थीं। बाकी दवाएं इस स्टोर के पीछे एक भवन के तहखाने में रखी गई हैं। कुछ पुराने उपकरण भी यहां पर रखे हैं। मेन स्टोर के अलावा पोस्ट ऑफिस की तरफ से इसमें जाने का रास्ता है।
प्रमुख सचिव के आने के बाद और बढ़ गया था अंधविश्वास
करीब सात साल पहले पूर्व प्रमुख सचिव एमएम उपाध्याय हमीदिया के स्टोर का निरीक्षण करने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि जैसे ही स्टोर का ताला खुला वहां पर कुछ घटना हुई। इसके बाद अंधविश्वास और बढ़ गया। कोई वहां पर मझार होने तो कोई शक्ति होने के डर से इस स्टोर में नहीं जा रहा था।
ये दवाएं हैं स्टोर में
सूत्रों ने बताया कि स्टोर में मल्हम, कंटेनर्स में सीरप, बड़े-बड़े डिब्बों में दवाएं रखी गई थीं। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि दवाओं की पैकिंग पहले बहुत अच्छे से नहीं होती थी, इसलिए ये दवाएं जल्दी नष्ट हो गईं। इन दवाओं मैनूफैक्चरिंग व एक्सपायरी डेट भी नहीं बची है।
-----------
इंसीनरेटर की क्षमता से ज्यादा दवाएं, दो दिन से नहीं जलीं
हमीदिया अस्पताल में एक्सपायरी दवाओं की छटनी के बाद कई क्विंटल दवाएं निकली हैं, लेकिन भोपाल इंसीनरेटर की क्षमता इन दवाओं के जलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। लिहाजा दो दिन से दवाएं नष्ट करने के लिए इंसीनरेटर नहीं भेजी जा रही है।