भ्रष्टाचार: 90 ​दिन में नप जाएंगे IAS-IPS अफसर

Bhopal Samachar
भ्रष्टाचारनई दिल्ली। भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतें फाइलों में अक्सर धूल खाती रहतीं हैं। यदि शिकायत किसी आईएएस या आईपीएस अफसर के खिलाफ हो तो वर्षों लग जाते हैं जांच शुरू होने में लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार द्वारा तैयार किए गए नए नियमों के अनुसार भ्रष्टाचार और अन्य अनियमितताओं के आरोपों के लिए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ सारी विभागीय जांच अधिकतम 90 दिन के भीतर पूरी करनी होगी। इन नियमों का लक्ष्य दोषियों के लिए त्वरित सजा सुनिश्चित करना है।

अफसरों के खिलाफ जांच के लिए नए नियम
कार्मिक मंत्रालय अखिल भारतीय सेवाओं, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) के अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए नए नियम जारी किए हैं। इसमें जांच पूरी करने के लिए चरणवार विशेष समय-सीमा प्रदान की गई है।

जांच नहीं तो लिखित में देना होगा कारण
संशोधित नियमों के अनुसार विभागीय जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने की समय-सीमा निर्धारित की गई है। अगर छह महीने की समय-सीमा के भीतर जांच पूरी करना संभव नहीं है तो लिखित में उचित कारण देना होगा और अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा एक बार छह महीने की अतिरिक्त समय-सीमा दी जा सकती है। इसके जरिए जांच पूरी करने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।

लापरवाही करने वाले अफसरों के लिए 30 दिन की समयसीमा-
नये नियमों के अनुसार आरोप पत्र पर अपना जवाब देने के लिए कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही करने वाले अधिकारी के लिए 30 दिन की समय-सीमा निर्धारित की गई है। इसे अनुशासनात्मक प्राधिकार द्वारा 30 दिन से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है और 90 दिन से अधिक विस्तार नहीं दिया जाएगा।

नियमों में संशोधन
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अधिक जवाबदेही लाने और शासन के क्रम में हर कवायद को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है। सिंह ने कहा, ‘‘बदलाव के जरिए इस बात को सुनिश्चित करना है कि दोषी को तेजी से सजा हो। यह सभी कर्मचारियों को संदेश भेजेगा कि उन्हें अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन करना है और बिना किसी भूल-चूक के काम करना है।’’ 

बढ़ सकती है समयसीमा
उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव अधिकारियों के लिए प्रोत्साहक के तौर पर काम करेंगे और निश्चित तौर पर कोई भी लापरवाही दिखाए बिना समय-सीमा के भीतर कार्य करने की संस्कृति को मजबूत बनाएंगे। जांच पूरी करने में विलंब पर रोक लगाने के लिए नए नियमों ने जांच अधिकारी के लिए अनिवार्य बनाया है कि वे छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपें। हालांकि, पर्याप्त कारण बताने पर इस समय-सीमा को छह महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है।

नियमों में कहा गया है कि इसी तरह कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही करने वाले अधिकारी पर जुर्माना लगाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के परामर्श ज्ञापन भेजने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है और इस तरह के ज्ञापन के लिए भी 45 दिन के बाद कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।

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