सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मध्यप्रदेश मे समर्थन मुल्य पर नान एवं मार्कफेड के माध्यम से प्रति वर्ष करोडों क्विंटल धान खरीदी जाती है लेकिन धान के रखरखाव में लापरवाही बरते जाने से लाखों क्विंटल धान बेमौसम बारिश तथा कडी धूप के कारण बरबाद हो जाती है जिसके कारण सरकारी खजाने को पलिता लगाया जा रहा हैै।
धान खरीदने वाली एजेन्सियों के पास पर्याप्त मात्रा मे तिरपाल ना होने तथा घटिया तिरपाल खरीदने के कारण उसके शीघ्र ही कटफट जाने के कारण धान खराब हो जाता है इस प्रक्रिया के चलते प्रतिवर्ष लाखों क्विंटल खराब हुई धान को माटी मोल में बेचकर सरकार को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
अभी हाल ही मे हुई शीतकालीन बरसात के कारण बालाघाट जिले में लगभग 5 लाख क्विंटल धान भीग कर खराब हो गई है, ओपन केप तथा सहकारी समितियों में बेचने के लिये किसानों द्वारा लाई गई धान को सुरक्षित रखने और उसे ढांकने के पर्याप्त इंतजाम ना होने से धान के बोरे भीग गये अब तक बालाघाट जिले में 30 लाख क्विंटल धान खरीदी जा चुकी है, परिवहन ना होने के कारण वह खुले मैदान में पडी है।
समर्थन मुल्य पर धान खरीदी को केवल 4 दिन षेष है समय पर तुलाई ना होेने से किसान धान की रखवाली कर रहा है, नोटबंदी के कारण उसे भुगतान भी नही मिल पा रहा है, बारदाने की कमी के कारण धान का उठाव नही हो पा रहा है इस तरह खरीदी गई धान की सुरक्षा के पर्याप्त इंतेजाम ना किये जाने के कारण प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी लाखों क्विंटल धान बरबाद हो जायेगी जिसे बाद में खाने के अयोग्य बताकर अधिकारी उसे माटीमोल बेचने की जुगत जमायेंगे।