नई दिल्ली। हाल ही में अपने मुख्यमंत्रियों की एक समिति बनाकर सरकार ने सिफारिश मंगवाई थी कि बैंक/एटीएम से नगद निकासी पर बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स (बीसीटीटी) लगाया जाए। तय किया जा रहा था कि सबसे पहले 50 हजार से ज्यादा की निकासी पर टैक्स लगाएंगे फिर माहौल देखकर नियम शर्तें बदली जाएंगी परंतु 4 राज्यों में चल रहे चुनाव और सोशल मीडिया पर लोगों के तीखे विरोध के बाद फिलहाल सरकार ने यह फैसला टाल दिया है। वित्तमंत्रालय ने कहा कि यह फैसला अंतिम नहीं है। केंद्र सरकार समिति की सिफारिशों का परीक्षण करने के बाद ही इस बारे में अंतिम निर्णय लेगी।
नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के उपाय तलाशने को सरकार ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडृ की अध्यक्षता में मुख्यमंत्रियों की यह समिति गठित की थी।समिति ने मंगलवार को अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी। इसी रिपोर्ट में समिति ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रोत्साहनों के साथ-साथ नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने के लिए भी कई सिफारिशें की हैं।
ऐसी ही एक सिफारिश बैंक से 50 हजार रुपये से अधिक नकद लेनदेन पर टैक्स लगाने के संबंध में है। साथ ही समिति ने कैश के जरिये लेनदेन की अधिकतम सीमा भी तय करने का सुझाव दिया है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि समिति की सिफारिशों पर सावधानीपूर्वक विचार कर उचित निर्णय लिये जाएंगे।
मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने अभी तक समिति की सिफारिशों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2005 में बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स लगाया था।
हालांकि यूपीए सरकार ने एक अप्रैल 2009 से इस टैक्स को हटा दिया था। चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता वाली समिति ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए छोटे व्यापारियों को स्मार्टफोन खरीदने के लिए एक हजार रुपये की वित्तीय सहायता तथा सरकारी विभागों को डिजिटल भुगतान पर एमडीआर शुल्क समाप्त करने की सिफारिश भी की है।