नोटबंदी: BANKS में कालाधन के साथ नकली नोट भी जमा हो गए

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद सरकार ने सहकारी बैंकों में लेनदेन पर प्रतिबंध इसलिए लगा दिया था क्योंकि सहकारी बैंकों में नकली नोट पता करने वाली मशीन नहीं होती। अमान्य कर दिए गए सारे नोट सरकारी या प्राइवेट बैकों के माध्यम से ही जमा कराए गए। बावजूद इसके संदेह है कि बैंकों में कालाधन तो जमा हुआ ही, नकली नोट भी जमा हो गए। शायद यही कारण है कि आरबीआई अभी तक सही आंकड़ा प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है कि 31 दिसम्बर 2016 तक बैंकों में कुल कितनी अमान्य मुद्रा जमा हुई। बता दें कि एक ऐजेंसी ने 97 प्रतिशत अमान्य मुद्रा जमा हो जाने का दावा किया था। 

कितने नोट वापस लौटे इसकी जानकारी नहीं
इससे इस बात की प्रबल संभावना पैदा होती है कि इससे भी ज्यादा पुराने बंद किए गए नोट वापस आरबीआई के पास लौट चुके हैं और नहीं लौटने वाले नोटों का आंकड़ा जो 54 हजार करोड़ है, वास्तव में इससे काफी कम होगा। अमान्य नोटों के वापस जमा कराए जाने की संख्या के बारे में आरबीआई ने गत 19 दिसंबर को अंतिम जानकारी दी थी लेकिन नोटबंदी के बाद कितने नए नोट जारी किए गए हैं, इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

6 जनवरी तक 8.98 लाख करोड़ रु चलन में थे
आरबीआई ने गत 13 जनवरी (शुक्रवार) को अपने साप्ताहिक आंकड़े में कहा कि छह जनवरी तक 8.98 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे। इस रकम में उच्च मूल्य के 500 और 2000 रुपये के नोटों, कम मूल्य के 10, 20, 50 और 100 रुपये के नए व पुराने नोटों के साथ, नहीं जमा कराए जाने वाले प्रतिबंधित 500 और 1000 रुपये के नोट भी शामिल हैं।

आरबीआई ने खारिज की रिपोर्ट
गत पांच जनवरी को आरबीआई ने समाचार एजेंसी ब्लूबर्ग की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया था, जिसमें 97 प्रतिशत अमान्य नोटों को वापस जमा कराए जाने की बात कही गई थी। एक बयान जारी कर आरबीआई ने कहा, "लेखांकन त्रुटियों/दोहरी गणनाओं की संभावना को दूर करने के लिए आंकड़ों के जितने पुराने नोट वापस लौटें हैं, उनके साथ मिलान कराने की जरूरत होगी और तब तक कोई भी आकलन वास्तविक संख्याओं का संकेत नहीं दे सकता है।

आंकड़ों से करते हैं गणना- 
तो आइए आरबीआई के आंकड़ों से ही गणना करते हैं कि नोटंबदी के बाद कितने अमान्य पुराने नोट आरबीआई के पास वापस आएं हैं।
गत साल दो दिसंबर को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि आठ नवंबर तक प्रचलन में रहे नोटों की संख्या 500 और 1000 रुपये में 171.65 करोड़ है, जिनका कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये है।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मूल्य के संदर्भ में कुल मुद्रा का 86 फीसदी चलन में है, जिसका मूल्य 17.95 लाख करोड़ रुपये है। (आरबीआई के गत साल चार नवम्बर के आंकड़ों के अनुसार, 17.95 लाख करोड़ रुपये मूल्य की कुल मुद्रा चलन में थी।)
पिछले साल 10 नवंबर के बाद से नोटबंदी के कारण पुराने नोट 30 दिसंबर तक बैंक में जमा किए जा रहे थे और आरबीआई 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोटों के अलावा 10 रुपये से 100 रुपये मूल्य के भी नोट जारी कर रही थी।
गत 18 नवम्बर को आरबीआई ने आरक्षित मुद्रा पर बयान जारी कर कहा था कि 14.27 लाख करोड़ रुपये चलन में हैं, जिनमें निम्न मूल्य के नोटों (कुल मुद्रा का 14 फीसदी) में 2.51 लाख करोड़ रुपये हैं। हालांकि किस मूल्य की कितनी मुद्रा चलन में है, इसकी जानकारी न तो सरकार ने और न ही आरबीआई ने दी है।

आरबीआई के डिप्टी गर्वनर ने दी थी ये जानकारी
पहली बार आरबीआई ने नए नोटों की विस्तृत जानकारी सात दिसंबर को मौद्रिक नीति जारी करने को लेकर की गई प्रेस वार्ता में दी थी, जिसमें आरबीआई के डिप्टी गर्वनर आर. गांधी ने कहा था कि छह दिसंबर तक चार लाख करोड़ रुपये मूल्य के नए नोट जारी किए गए हैं, जिनमें से 1.06 लाख करोड़ रुपये के छोटे नोट (10 से लेकर 100 रुपये तक के) हैं। तथा बाकी बचे 2.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य की रकम बड़े नोटों में (500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट) में है।

कुल 6.51 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं
वहीं, आरबीआई द्वारा नौ दिसंबर को नोटबंदी के बाद उसके पास वापस लौटे अमान्य नोटों के आंकड़े से जाहिर होता है कि कुल 9.81 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में हैं। इनमें आठ नवंबर तक प्रचलन में रहे 2.51 लाख करोड़ रुपये मूल्य की छोटे मूल्य के नोट भी शामिल हैं। इसके बाद आरबीआई ने छोटे मूल्य के 1.06 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नए नोट जारी किए, तथा बड़े मूल्य (500 और 2000 रुपये के नए नोट) के 2.94 करोड़ रुपये के नए नोट जारी किए। इनको अगर जोड़ा जाए तो कुल 6.51 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं।

इसका मतलब यह है कि नौ दिसंबर को केवल 3.29 लाख करोड़ (9.61 लाख करोड़ में से 6.51 लाख करोड़ को घटाने पर) रुपये मूल्य के प्रतिबंधित नोट ही (नोटबंदी के बाद) आरबीआई के पास वापस आने थे। यह आंकड़ा आरबीआई द्वारा दिए गए 10 दिसंबर के आंकड़े (12.44 लाख करोड़) से मेल खाता है, जिसे आरबीआई के डिप्टी गर्वनर गांधी ने 13 दिसंबर को मीडिया के सामने जारी किया था।

आरबीआई ने 19 दिसंबर को दिया था आंकड़ा 
आरबीआई ने प्रचलन में डाले गए नए नोटों के बारे में 19 दिसंबर को एक आंकड़ा पेश किया था और कहा था कि 20.4 अरब छोटे मूल्य (100 रुपये तक के नोट) के और 2.2 अरब उच्च मूल्य (500 रुपये और 2000 रुपये के नोट) के नोट प्रचलन में डाले गए हैं। यह पूरी रकम कुल 5.93 लाख करोड़ रुपये मूल्य के बराबर है।

आकंड़े मिलाने के बाद का गणित
आइए अब इसे छह जनवरी के आंकड़े, जिसमें 8.98 लाख करोड़ रुपये के चलन में होने की जानकारी दी गई थी, से मिलाकर देखते हैं। अगर हम यह मान लें कि 19 दिसंबर के बाद कोई नया नोट जारी नहीं किया गया और चलन में नहीं आया (जोकि वास्तविकता नहीं है) तो चलन में रही पुरानी मुद्रा के साथ नए जारी किए गए छोटे मूल्य और उच्च मूल्य की मुद्राओं को मिलाने से (2.51 लाख करोड़ रुपये के साथ 5.93 लाख करोड़ रुपये को जोड़कर) यह रकम कुल 8.44 लाख करोड़ रुपये होती है।

सिर्फ 54,000 करोड़ रुपये लौटने बाकी
दूसरे शब्दों में कहें तो केवल 54,000 करोड़ रुपये ही पुराने अमान्य नोट अभी आरबीआई के पास वापस लौटने बाकी हैं (8.98 लाख करोड़ रुपये में से 8.44 लाख करोड़ रुपये को घटाकर)। इस तरह से आरबीआई के आंकड़ों से 14.90 लाख करोड़ रुपये या कुल प्रचलित रकम की 96.5 फीसदी रकम (नोटबंदी के बाद) वापस लौट चुकी है।

कहीं चलन से ज्यादा नोट तो नहीं लौटे
लेकिन अब हम 19 दिसंबर के बाद नए जारी किए गए नोटों के आंकड़े (जिसकी काफी ज्यादा संभावना है) को मिला दें तो (सारे आंकड़े गड़बड़ा जाते हैं और) पता चलता है कि जितने नोट चलन में थे, कहीं उससे ज्यादा नोट तो आरबीआई के पास वापस नहीं लौट गए? क्या यही कारण है कि आरबीआई अभी तक अंतिम गिनती की घोषणा नहीं कर रही है?

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!