महान क्रांतिकारी उधम सिंह के प्रपौत्र को चपरासी की नौकरी तक नहीं दे रही BJP सरकार

Bhopal Samachar
ई दिल्ली। इन दिनों तो देश का बच्चा बच्चा देशभक्त हुआ जा रहा है, सरकारी देश के लिए कष्ट सहने की अपील कर रही है, वही सरकार महान क्रांतिकारी उधम सिंह के प्रपौत्र को एक अदद चपरासी की नौकरी नहीं दे रही। वो धरने पर बैठा हुआ है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने करीब 10 साल पहले उन्हें यह नौकरी देने का वादा किया था लेकिन वादा कांग्रेस के सीएम ने किया था इसलिए भाजपा सरकार ने उसे पूरा नहीं किया। 

उधम सिंह की बड़ी बहन आस कौर के प्रपौत्र जग्गा सिंह द्वारा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरकार से बार-बार अपील किए जाने का अभी कोई परिणाम नहीं निकला है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में खूनी दिवस के दौरान उधम सिंह वहां उपस्थित थे। बाद में करीब 21 साल बाद उन्होंने लंदन में माइकल ओ ड्वायर की हत्या कर इस नरसंहार का बदला लिया था। जलियांवाला बाग में कत्लेआम के समय माइकल ओ ड्वायर ही पंजाब का गवर्नर था। बाद में उधम सिंह को हत्या के आरोप में लंदन में फांसी दे दी गयी थी।

बेहद गरीबी में गुजर-बसर कर रहा शहीद का परिवार
जग्गा सिंह इस समय अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं। इसके अलावा उन्हें 60 वर्षीय पिता जीत सिंह की देखभाल भी करनी पड़ती है। वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं।

दसवीं तक पढ़े हैं जग्‍गा 
तीस वर्षीय जग्गा सिंह दसवीं तक पढ़े हैं और 2,500 रपये मासिक की तनख्वाह पर संगूर की एक कपड़ा दुकान में काम करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके पत्रों पर ध्यान देंगे।

जंतर-मंतर पर शहीद का प्रपौत्र 
सिंह अब इस कड़ाके की और धुंध भरी सर्दी में अपने विरोध को यहां जंतर मंतर तक ले आए हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज जरूर सुनी जाएगी।

क्‍या है पूरा मामला 
जग्गा ने कहा कि 2006 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बदल गई और उन्हें अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कई बार पंजाब के वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा से मुलाकात की। कई मुलाकातों के बाद उन्होंने हमें बताया कि हमारा मामला मुख्यमंत्री के सामने रखा गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वह हमारी मदद नहीं कर सकते क्योंकि उनका नियुक्ति पत्र कांग्रेस की अमरिंदर सरकार के समय जारी किया गया था, इसलिये उन्हें यह नौकरी नहीं दी जा सकती।’’ 

जग्गा ने कहा कि अमरिंदर सिंह की ओर से पत्र जारी किये जाने के बाद उनके पिता ने उन्हें कोई नौकरी ‘‘चाहे वह चपरासी की ही हो’’ दिये जाने की मांग को लेकर उपजिलाधिकारी से मुलाकात की थी, लेकिन मौजूदा सरकार उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है।

आम आदमी पार्टी ने भी खड़े किये हाथ 
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान से भी मुलाकात की। उन्होंने हमसे अपनी समस्या के बारे में एक चिट्ठी लिखने को कहा था, लेकिन बाद में उनके निजी सहायक ने बताया कि चूंकि वे लोग सत्ता में नहीं हैं, इसलिये उनके लिए कुछ नहीं कर सकते। बाद में उन्होंने हमारा फोन उठाना भी बंद कर दिया।

नहीं काम आया योगगुरू का पत्र
जग्गा के अनुसार वह बाबा रामदेव से भी मिले, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री को योग गुरू की ओर से भेजे गए पत्र का भी कोई परिणाम नहीं निकला।

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