नई दिल्ली। विजय माल्या की कंपनी को घाटे से उबारने के लिए खुद पर लगे विजय माल्या को मदद करने के आरोप को नकारते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैंने जो भी किया वो नियमों के विरुद्ध नहीं था। मैंने जो भी किया था मैं उससे संतुष्ट हूं। बता दें कि बैंक डिफाल्टर होने के बाद विजय माल्या नरेंद्र मोदी शासनकाल में भारत से विदेश भाग गया। भारत सरकार ने ना तो उसे विदेश जाने से रोका और ना ही विदेश से पकड़कर भारत लाने के लिए कोई प्रयास किया।
मनमोहन ने कहा कि सभी प्रधानमंत्रियों और अन्य मंत्रियों से तमाम उद्योग के मालिकों को मदद की दरकार होती है और हम एक नियमित प्राधिकरण के तहत उनकी मदद करते हैं। माल्या के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि यह सामान्य लेनदेन है। जिस पत्र की बात हो रही है वो सिवाय एक सामान्य पत्र के होने के और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार में मेरी जगह कोई भी होता तो इस पत्र के साथ निपटता।
यह सिर्फ एक सामान्य पत्र है। मनमोहन, ने यह बातें दिल्ली में कांग्रेस की प्रेस वार्ता के दौरान कहीं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, अच्छी हालत में नहीं है। अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में इस अर्थव्यवस्था के चलते बेहतर बढ़ोत्तरी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि नौकरियां लगातार घट रहीं हैं। यह सरकार का फेलियर है।
बता दें कि भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं कि भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का पैसा लेकर भाग गए विजय माल्या को लोन देने का आरोप यूपीए शासन के समय में हुआ था। संबित पात्रा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि विजय माल्या को लोन यूपीए शासन के दौरान दिया गया था। इस दौरान संबित पात्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ विजय माल्या के बीच पत्राचार और पत्रों को भी मीडिया के सामने रखा।
संबित पात्रा ने दावा कि किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक रहे विजय माल्या ने लोन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात थी। पर मनमोहन ने इस बावत विजय माल्या को शीर्षस्थ नौकरशाह से बात करने को कहा था। बाद में मनमोहन के निर्देश पर ही विजय माल्या उनके एडवाइजर टी.के.नायर से मिले थे।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने बताया कि विजय माल्या ने मनमोहन सिंह और चिदंबरम को दो चिट्ठियां लिखीं थी। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को विजय माल्या ने पहला पत्र 4 अक्टूबर 2011 को और दूसरा पत्र 22 नवंबर 2011 को लिखा था, जबकि पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम को विजय माल्या ने 21 मार्च 2013 और 22 मार्च 2013 को दो पत्र लिखे थे।
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