नईदिल्ली। उत्तराखंड में सत्ता तक पहुंचने की कैलाश विजयवर्गीय की कोशिशों को पलीता लगने के बाद अब अमित शाह अपने तरीके से खेल रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी को उनके डीएनए अप्रूव्ड बेटे रोहित समेत भाजपा में ज्वाइन करा लिया है। सत्ता के आसपास घूम रहे नेताओं के अनुसार यह अमित शाह की बड़ी राजनैतिक सफलता है। इसके माध्यम से उन्होंने उत्तराखंड में कांग्रेस की कमर तोड़ दी है परंतु पुराने भाजपा नेता जो आदर्श और सिद्धांतों की बात करते हैं, अमित शाह के इस कदम से नाराज हैं।
माना जा रहा है कि अपने बेटे रोहित तिवारी को टिकट एवं मंत्रीपद के आश्वासन के बाद एनडी तिवारी ने भाजपा ज्वाइन करने का ऐलान किया है। उत्तराखंड के राजनैतिक पंडितों का कहना है कि इससे भाजपा को भले ही कोई सीधा लाभ ना हो परंतु कांग्रेस को सीधा नुक्सान जरूर होगा। तिवारी अकेले ऐसे सीएम हैं जो निर्विवाद रूप से उत्तराखंड के विकास पुरुष माने जाते हैं। कांग्रेस आज भी तिवारी के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाकर वोट मांगती है। अब जबकि तिवारी उनके पास नहीं रहे तो सवाल यह है कि वो विधानसभा चुनाव में किसका विकास गिनाएगी।
इधर देश भर में भाजपा के पुराने कार्यकर्ता जो विचारधारा से समझौता करने को कतई तैयार नहीं, अमित शाह के इस निर्णय से नाराज हैं। उनका कहना है कि जिस एनडी तिवारी के पुतले जलाए थे, अब उसी तिवारी को माला पहनाएंगे। हम सत्ता के लिए इतने अवसरवादी कैसे हो सकते हैं। कुछ 'खांटी' नेता जो सत्ता से लाभ लेने का लालच नहीं रखते, ने तो सोशल मीडिया पर भी अपना आक्रोश जताया है।