सुधीर ताम्रकार/वारासिवनी। नगर के निकट चंदन नदी कई घाटों अवैघ तरीके से रेत के ऊपर उगने बाली नागरमोथा औषधी एवं वन उपज को खोदे जाने के मामले में राजस्व एवं वन अमले ने दविश देकर बड़ी मात्रा में औषधी को जप्त करने में कामयाबी हासिल की है। प्रशासन के अनुसार राजस्व की नदी पर औषधीय पौधो को खोदने के लिये किसी तरह की अनुमति नही ली गई थी। मीडिया की सूचना पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ओमप्रकाश सनोडिया, नायाब तहसीलदार आर.एस. चंदेल, वन परिक्षेत्र अधिकारी डीसी वासनिक सहित राजस्व एवं वन अमले की मौजूदगी में कार्यवाही को अंजाम दिया गया। जानकारी के अनुसार औषधी पौधो को व्यावसायिक उपयोग के लिये निकट के ग्रामो के ग्रामीणो की मदद से लंबे समय से खुदवाया जा रहा था।
जिसकी जानकारी के बाद प्रषासन ने खोदकर रखी हुई लगभग कई कुंवटल जड़ीबुटी को जप्त किया है। बताया जाता है कि इसके पीछे टीकमगढ़ का ठेेकेदार मनोज जैन है साक्षी इंडस्ट्रीज के लिए खुदाइ करता है जो धूप और अगरबत्ती के निर्माण के लिए उपयोग मे लाया जाता है।हालांकि प्रशासन को वह घटनास्थल पर तो नही मिल पाया किंतु उसके मोबाईल नंबर के सहारे उसकी पतासाजी का प्रयास किया जा रहा है।
बताया जाता है कि इससे पूर्व चंदन नदी के अन्य घाटो में नदीघाट, खापा, बोनकट्टा आदि में भी इसी तरह सैकडों कुंवटल जड़ीबुटी को पूर्व मे खुदवाया गया था। जबकि आज दोपहर खंडवा घाट पर लगभग सौ ग्रामीण नदी के मध्य इस जडीबूटी को खोद रहे थे। जिन्हे प्रषासन ने हिदायत देकर भविष्य में ऐसा न करने के आदेश दिये है।
जानकारी मिली है कि टीकमगढ का ठेकेदार ग्रामीणो से जडीबूटी निकालने का काम करवाकर वह इसे पांच रूपये किलो के भाव से खदीदकर महानगर भेजने का कार्य कर रहा था। जानकारो की मानें तो जडीबूटी को ग्रामीण शब्दो में गोंदला कहा जाता है। जिसमे खुषबु अधिक होने से सौंदर्य और पूजन सामग्री में इसका उपयोग किया जाता है। इसी जडी बूटी का पाउडर बनाकर उससे फेसवाष जैसे चेहरे के उपयोग की जहां सामग्री बनाई जाती है। वही धूप और अगरबत्ती के निर्माण में भी इसका अधिक मात्रा मे उपयोग किया जाता है। खोदकर रखी हुई लगभग लगभग कई कुंवटल जड़ीबुटी को जप्त कर आगे की कार्यवाही की जा रही है।