भोपाल। मप्र शासन के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण को लेकर 'माई का लाल' वाला बयान देने वाले मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ी बड़ी बातें करके मामले को सुप्रीम कोर्ट तो ले गए थे लेकिन अब उन्हे समझ आ गया है कि वो इस केस को जीत नहीं सकते। इसलिए वो कई तरह के पैंतरे इस्तेमाल कर रहे हैं। एक तरफ मामले को लंबा खींचकर प्रतिवादी पक्ष सपाक्स की कमर तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी ओर एक नई याचिका लगाने की तैयारी की जा रही है।
नई याचिका में सरकार वर्ष 2002 से 30 अप्रैल-16 तक पदोन्नत हुए अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिवर्ट नहीं करने की गुहार लगाएगी। जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने 10 मई-16 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें हाईकोर्ट का फैसला बदलने और फैसला यथास्थिति रहने की स्थिति में अजा-अजजा वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिवर्ट नहीं करने की गुहार लगाई गई है।
सरकार इसी मांग को दूसरी याचिका में दोहराएगी। सूत्र बताते हैं कि प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ तीव्र विरोध प्रदर्शन करने वाली संस्था सपाक्स चाहती है कि शिवराज सरकार इस तरह की याचिका लगाए। इस वर्ग की सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा याचिकाएं लगाने की रणनीति है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में 32 याचिकाएं लगाई गई थीं। जिन्हें कोर्ट ने 3 सितंबर-16 को खारिज कर दिया था।
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हम सुप्रीम कोर्ट के सामने विस्तार से पक्ष रखेंगे कि जो पदोन्नत हो गए हैं, उन्हें रिवर्ट न किया जाए। ऐसा करने से कर्मचारी-अधिकारी हतोत्साहित होंगे। याचिका में भी इसका उल्लेख किया है।
पुरुषेंद्र कौरव
अतिरिक्त महाधिवक्ता, मप्र